दुनिया की सैन्य ताकतें अक्सर आसमान और धरती पर देखी जाती हैं। लेकिन जल-गहराइयों में चल रही दौड़ कहीं ज्यादा खामोश, रहस्यमय और डरावनी है। समुद्र हमेशा से रणनीतिक खेल का सबसे गूढ़ मैदान रहा है, जहां पनडुब्बियों की फुसफुसाहट भी भू-राजनीति का भविष्य बदल सकती है। इसी समुद्री शतरंज में रूस ने एक ऐसा मोहरा चला है, जिसने पूरे वैश्विक रक्षा तंत्र के दिल की धड़कनें तेज कर दी हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह घोषणा की है कि रूस ने ‘पोसाइडन’ नामक परमाणु ऊर्जा संचालित मानव-रहित सबमर्सिबल ड्रोन का सफल परीक्षण कर लिया है। यह ड्रोन असीमित दूरी तक मार करने की क्षमता रखता है और दावा है कि यह दुनिया की सबसे घातक पारंपरिक या परमाणु मिसाइलों से भी आगे की शक्ति रखता है।
यह महज एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि महासागरों की दुनिया में शक्ति संतुलन बदलने वाली घटना है। एक शांत लहर, पर पीछे भूचाल की संभावना।
‘पोसाइडन’ नाम ग्रीक देवता से लिया गया है। समुद्रों के देवता, जिनके हाथों में शक्ति, विनाश और रहस्यमय सागर का नियंत्रण था। रूस ने इस नाम को चुनकर दुनिया को संकेत दिया है कि यह हथियार भी वही शक्ति समेटे है।
रूस के कहने के अनुसार, यह ड्रोन एक रणनीतिक पनडुब्बी से छोड़ा गया और यह एक ऐसे रिएक्टर से चलता है जो पारंपरिक पनडुब्बी रिएक्टर से 100 गुना छोटा है। यह किसी भी समुद्री देश के तट को गुप्त रूप से निशाना बना सकता है। असीमित दूरी का दावा इसे लगभग न रोके जाने वाला हथियार बनाता है। यह मानव-रहित है, यानि जोखिम कम और रणनीतिक लाभ अधिक। इसे ट्रैक करना बेहद कठिन होगा, क्योंकि यह समुद्र की गहराइयों में बिना सतह पर आए यात्रा कर सकता है।
दुनिया परमाणु शक्ति की चर्चा करते ही हवा की तरफ देखती है, क्योंकि कल्पना में मिसाइलें ही उड़ती हैं। लेकिन अब युद्ध का नया अध्याय समुद्र में लिखा जा रहा है। परमाणु मिसाइलों की रेंज सीमित होती है, लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म स्थिर होता है। लेकिन पोसाइडन जैसे सिस्टम समुद्र को अनंत लॉन्च पैड में बदल देता है।
भविष्य की युद्धक रणनीति अब सिर्फ "कौन पहले हमला करेगा" नहीं है, बल्कि यह भी होगी कि कौन विरोधी की पहुंच तक चुपचाप पहुँच सकता है और कब। पोसाइडन जैसी तकनीकें AI आधारित गाइडेंस, समुद्री छिपाव क्षमता, लम्बा समय पानी में रहने की क्षमता, रेडियेशन मुक्त ऑपरेशन तंत्र, इन सभी को जोड़कर एक नई चुनौती तैयार करती हैं।
जब अमेरिका ने ‘स्टार वार्स’ कार्यक्रम बनाया था, रूस ने संतुलन बदलने के लिए Sarmat जैसी मिसाइलें बनाई। अब भी तस्वीर कुछ वैसी ही है। पोसाइडन पश्चिम के लिए इसलिए खतरनाक है कि यह पारंपरिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अप्रभावी कर देता है। यह "अदृश्य हमला" करने की क्षमता रखता है। यह समुद्र आधारित निरोधक शक्ति को चरम रूप देता है। अमेरिका की तटीय सुरक्षा अवधारणा को चुनौती देता है।
अमेरिका और नाटो पहले ही इसकी निगरानी और जवाब योजना बना रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह हथियार Mutually Assured Destruction की संकल्पना का जलीय संस्करण है, जो जवाबी हमले की गारंटी देता है।
पोसाइडन सिर्फ ड्रोन नहीं है, पानी के अंदर तैरती हुई रणनीतिक चेतावनी है। आर्थिक प्रतिबंधों के बीच तकनीकी श्रेष्ठता का संदेश है। नाटो के समुद्री प्रभुत्व को चुनौती है। आर्कटिक क्षेत्र में बढ़त है। समुद्री डिटरेंस सिस्टम में बढ़त है।
भारत, समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है। हिंद महासागर रणनीतिक आंगन है। पोसाइडन जैसी तकनीकें भारत को भी सोचने पर मजबूर करेंगी। भविष्य की पनडुब्बी तकनीक का अपग्रेड करना होगा। समुद्री AI और स्वायत्त ड्रोन विकास करना होगा। परमाणु निरोधक रणनीति का विस्तार करना होगा। समुद्री निगरानी और सुरक्षा तंत्र मजबूत करना होगा। भारत पहले ही Arihant Nuclear Submarine कार्यक्रम में आगे बढ़ रहा है। ऐसे हथियार संकेत देता है कि भविष्य में अधिक उन्नत समुद्री ड्रोन भारत की रक्षा नीति का हिस्सा बन सकता है।
परमाणु तकनीक का समुद्र में प्रवेश पर्यावरणीय चिंताएँ उठाता है। दुर्घटनाओं की संभावना। समुद्री विकिरण प्रदूषण। समुद्री जीवों पर प्रभाव और वैश्विक समुद्री कानूनों की चुनौतियाँ। समुद्र सिर्फ रणनीतिक क्षेत्र नहीं है, पृथ्वी की सांस भी है। युद्ध की गूंज उसमें भी सुनाई पड़ती है।
लगता है कि देश एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुका है, जहां समुद्र में स्वायत्त हथियारों की भीड़ होगी। AI आधारित पनडुब्बियाँ, परमाणु ऊर्जा वाले समुद्री ड्रोन, हाइपरसोनिक टॉरपीडो और अंडरसी निगरानी नेटवर्क। समुद्री युद्ध अब “स्टील एंड शैडो” नहीं, बल्कि “कोड एंड करंट” का खेल होगा।
रूस का पोसाइडन परीक्षण इतिहास में दर्ज हो गया है। यह सिर्फ तकनीकी प्रदर्शन नहीं है, बल्कि दुनिया को संदेश है समुद्र अब सिर्फ व्यापार और जहाजों का क्षेत्र नहीं है, बल्कि सामरिक शक्ति का नया ध्रुव है।
