होम लोन से लेकर एफडी तक - एसबीआइ ने घटाईं ब्याज दरें

Jitendra Kumar Sinha
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देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) ने ग्राहकों को बड़ी राहत देते हुए लेंडिंग और डिपॉजिट दोनों तरह की ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है। यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की हालिया मौद्रिक नीति में पॉलिसी रेट घटाने के बाद लिया गया है। नई ब्याज दरें 15 दिसंबर 2025 से लागू होगी, जिससे मौजूदा और नए दोनों तरह के ग्राहकों को सीधा लाभ मिलेगा।

एसबीआइ की इस घोषणा का सबसे बड़ा फायदा होम लोन लेने वालों को होगा। बैंक ने रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) और अन्य कर्ज दरों में कटौती की है, जिससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई कम हो सकती है। पहले से चल रहे फ्लोटिंग रेट लोन पर भी इसका असर पड़ेगा, यानि जिन ग्राहकों ने पहले से लोन ले रखा है, उनकी मासिक किस्त में राहत मिल सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती से रियल एस्टेट सेक्टर को भी गति मिलेगी। सस्ते होम लोन के कारण घर खरीदने का फैसला टाल रहे लोग अब बाजार में उतर सकते हैं, जिससे निर्माण और उससे जुड़े उद्योगों को भी फायदा होगा।

लेंडिंग दरों के साथ-साथ एसबीआइ ने फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की ब्याज दरों में भी कटौती की है। इससे उन निवेशकों को थोड़ा झटका लग सकता है, जो सुरक्षित निवेश के तौर पर एफडी को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि बैंक का कहना है कि बदली हुई दरें बाजार की मौजूदा परिस्थितियों और आरबीआइ की नीति के अनुरूप हैं।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए हालांकि बैंक कुछ विशेष योजनाओं में अतिरिक्त ब्याज का विकल्प बनाए रख सकता है, ताकि उन्हें ज्यादा नुकसान न हो। फिर भी निवेशकों को अब म्यूचुअल फंड, बॉन्ड या अन्य वैकल्पिक निवेश विकल्पों पर भी विचार करना पड़ सकता है।

आरबीआइ द्वारा पॉलिसी रेट में कटौती का मुख्य उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। जब बैंक सस्ता कर्ज देता है, तो उपभोक्ता खर्च बढ़ता है और उद्योगों को निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलता है। एसबीआइ का यह कदम उसी दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आने वाले महीनों में महंगाई नियंत्रण में रहती है, तो अन्य बैंक भी एसबीआइ के नक्शे कदम पर चलते हुए ब्याज दरों में कटौती कर सकती हैं। इससे पूरे बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को और बेहतर शर्तों पर कर्ज मिल सकेगा।

ग्राहकों को सलाह दी जा रही है कि वे 15 दिसंबर 2025 के बाद अपनी लोन और एफडी की नई दरों की जानकारी जरूर लें। जिन लोगों की ईएमआई ज्यादा है, वे अपने बैंक से संपर्क कर पुनर्गणना (री-कैलकुलेशन) करवा सकते हैं। वहीं निवेशक अपनी वित्तीय जरूरतों के अनुसार, निवेश रणनीति में बदलाव पर विचार कर सकते हैं।

एसबीआइ की यह पहल आम आदमी की जेब पर बोझ कम करने और अर्थव्यवस्था को गति देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है।



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