देश के प्रशासनिक ढांचे में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है और इसका ताजा प्रमाण केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में साफ दिखाई देता है। संसद में पेश किए गए आधिकारिक डेटा ने एक बेहद उत्साहजनक तस्वीर सामने रखी है, सिविल सेवा परीक्षा में सफल महिलाओं की हिस्सेदारी वर्ष 2019 के 24% से बढ़कर 2023 में 35% हो गई है। यह न सिर्फ महिलाओं की बढ़ती जागरूकता और मेहनत का प्रतीक है, बल्कि समाज में बदलते दृष्टिकोण का भी मजबूत संकेत है।
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दिए अपने जवाब में बताया कि 2019 में UPSC की फाइनल सूची में कुल 922 अभ्यर्थियों में 220 महिलाएं शामिल थी। वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 397 हो गई, जबकि कुल चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 1132 थी। यह आंकड़ा दिखाता है कि हर साल अधिक से अधिक महिलाएं न सिर्फ इस कठिन परीक्षा में बैठ रही हैं, बल्कि सफलता के शिखर को भी छू रही हैं।
महिलाओं का यह संख्या बताता है कि यह उनकी बढ़ती सामाजिक-आर्थिक भागीदारी, शिक्षा स्तर में सुधार, परिवार और समाज में बढ़ते सहयोग, और सरकारी नीतियों से मिले सशक्तिकरण का परिणाम है।
राज्यमंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों में एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह था कि UPSC में सफल उम्मीदवारों में लगभग 50% इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से थे। 2023 में चयनित 1132 अभ्यर्थियों में से 554 इंजीनियरिंग, 368 ह्यूमैनिटीज, 137 साइंस और 73 मेडिकल साइंस से थे। यह दर्शाता है कि सिविल सेवा परीक्षा अब भी तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवाओं को आकर्षित कर रहा है। हालाँकि ह्यूमैनिटीज और अन्य क्षेत्रों से भी मजबूत उपस्थिति दर्ज हो रही है।
महिलाओं की हिस्सेदारी 35% तक पहुँचना कई मायनों में ऐतिहासिक कदम है। इसे उच्च शिक्षा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, कोचिंग सुविधाओं और ऑनलाइन संसाधनों की उपलब्धता, परिवारों का बढ़ता प्रोत्साहन, महिला सुरक्षा और करियर के अवसरों में सुधार, सरकारी योजनाएं और नीतिगत समर्थन से जोड़ा जा सकता है।
आज की भारतीय महिला न केवल प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में हिस्सा ले रही है, बल्कि शीर्ष स्थानों पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दिखा रही है। यदि यह रफ्तार जारी रही, तो आने वाले वर्षों में प्रशासनिक सेवाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व और भी तेजी से बढ़ेगा। इससे न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण में विविधता आएगी, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं की समझ और समाधान की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
सिविल सेवा परीक्षा में महिलाओं की बढ़ती सफलता सिर्फ आंकड़ों का इजाफा नहीं है, यह भारत की बदलती सामाजिक संरचना, शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता और महिलाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति का जीवंत प्रमाण है। यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और राष्ट्र निर्माण की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी।
