दिल्ली में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी अटकलों पर विराम लगाते हुए, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रेखा गुप्ता को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। दिलचस्प बात यह रही कि बीजेपी ने वही रणनीति अपनाई, जो उसने पहले गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सफलता पूर्वक लागू की थी।
बीजेपी की रणनीति: बड़े दावेदार से प्रस्ताव रखवाना
दिल्ली में प्रवेश वर्मा एक प्रमुख दावेदार थे। वे अरविंद केजरीवाल को हराकर विधानसभा में पहुंचे थे और उनके कद के सामने बाकी विधायक छोटे थे। ऐसे में उन्हें मनाना आसान नहीं था। लेकिन जब शीर्ष नेतृत्व का फैसला आ गया, तो उन्होंने भी पार्टी निर्णय का सम्मान करते हुए रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रख दिया।
दिल्ली में बीजेपी विधायक दल की बैठक के दौरान पर्यवेक्षकों ने एक-एक कर वरिष्ठ नेताओं को बुलाया और उन्हें निर्णय की जानकारी दी। सबसे पहले प्रवेश वर्मा को बुलाया गया, फिर विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं को जानकारी दी गई। इसके बाद मंच पर आकर प्रवेश वर्मा ने औपचारिक रूप से रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। इस प्रकार, दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की रेस समाप्त हुई और रेखा गुप्ता नए मुख्यमंत्री के रूप में उभर कर आईं।
राजस्थान में दोहराया गया था यही फॉर्मूला
दिसंबर 2023 में राजस्थान में भी बीजेपी ने यही रणनीति अपनाई थी। वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पार्टी ने नया चेहरा लाने का फैसला लिया। वसुंधरा राजे को एक पर्ची पकड़ाई गई और उन्होंने भजनलाल शर्मा के नाम का प्रस्ताव विधायक दल की बैठक में रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकृति मिली।
मध्य प्रदेश में भी यही हुआ
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था और माना जा रहा था कि वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन बीजेपी ने वहां भी नया चेहरा लाने का फैसला किया। विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान से ही डॉ. मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखवाया गया और फिर उन्हें मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया। इसके बाद, डॉ. मोहन यादव ने शिवराज सिंह चौहान का आशीर्वाद लेकर अपनी नई भूमिका स्वीकार की।
गुजरात में भी यही रणनीति सफल रही
सितंबर 2021 में गुजरात में भी बीजेपी ने यही रणनीति अपनाई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने इस्तीफे के बाद विधायक दल की बैठक में भूपेंद्र पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया और भूपेंद्र पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
बीजेपी की रणनीति क्यों होती है सफल?
बीजेपी का यह फॉर्मूला कई बार सफल साबित हुआ है। यह रणनीति पार्टी के आंतरिक समन्वय को मजबूत करती है और वरिष्ठ नेताओं के सम्मान को बनाए रखते हुए संगठन को आगे बढ़ाने में सहायक होती है। इसके तहत प्रमुख दावेदार को नए मुख्यमंत्री के नाम का प्रस्ताव रखने के लिए राजी किया जाता है, जिससे किसी तरह की बगावत की संभावना कम हो जाती है।
दिल्ली में बीजेपी की यही रणनीति फिर से कारगर साबित हुई। प्रवेश वर्मा जैसे बड़े नेता द्वारा रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा जाना पार्टी की एक सुनियोजित योजना थी, जिससे पार्टी एकजुट रही और बिना किसी विवाद के नया नेतृत्व सामने आ गया। यह बीजेपी की नेतृत्व परिवर्तन की एक सफल रणनीति बन चुकी है, जिसे वह अलग-अलग राज्यों में बार-बार लागू करती रही है।