सरकार आयकर अधिनियम-1961 में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है, जिसके तहत नया आयकर विधेयक जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। इस नए कानून का उद्देश्य आयकर प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और करदाताओं के लिए अधिक सुलभ बनाना है। नए प्रावधानों से आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना और नोटिस का जवाब देना पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा।
गैर-जरूरी और जटिल प्रावधानों का निष्कासन:
नए कानून में उन प्रावधानों को हटाया जाएगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं या जो करदाताओं और अधिकारियों के लिए समझने में कठिनाई पैदा करते हैं। इससे आयकर विवादों में लगभग 40% तक की कमी आने की उम्मीद है, जिससे न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या में भी गिरावट आएगी।
मुकदमेबाजी में कमी:
वर्तमान में, आयकर से जुड़े सवा सात लाख से अधिक मामले विभिन्न आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों में लंबित हैं। नए कानून के लागू होने से प्रक्रिया पारदर्शी और सरल होगी, जिससे देशभर में मुकदमेबाजी में बड़ी गिरावट आने की संभावना है।
सिंगल पेपर सिस्टम का प्रोत्साहन:
नए कानून में सिंगल पेपर सिस्टम को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके तहत करदाता को केवल आवश्यक जानकारी ही प्रस्तुत करनी होगी। आवश्यकता पड़ने पर ही पूरा रिकॉर्ड मांगा जाएगा, जिससे नोटिस का बोझ कम होगा और प्रक्रिया सरल बनेगी।
ITR दाखिल करने की प्रक्रिया में सुधार:
नए कानून में ITR दाखिल करने की प्रक्रिया को और भी आसान बनाया जाएगा, ताकि करदाता एकल पेपर के आधार पर आसानी से रिटर्न दाखिल कर सकें। विशेष रूप से, धारा-80 के तहत दी जाने वाली छूट से जुड़े कागजात को सिंगल पेपर में प्रस्तुत करने में आसानी होगी।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव:
आयकर अधिनियम के 23 अध्यायों और 298 धाराओं का बारीकी से अध्ययन कर उनकी भाषा को सरल बनाया जा रहा है।
अनावश्यक और गैर-जरूरी प्रावधानों को हटाया जाएगा, जिससे करदाता और अधिकारी दोनों के लिए समझना आसान होगा।
आयकर अधिनियम की भाषा को इतना सरल किया जाएगा कि करदाता को अपनी देनदारी समझने के लिए सीए या वकील की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
करदाता रिटर्न दाखिल करते समय आसानी से अपने आयकर की गणना कर सकेंगे।
मौजूदा कानून के लगभग आधे प्रावधान नए आयकर कानून में शामिल होंगे, जिससे आम व्यक्ति के लिए उन्हें समझना और अनुपालन करना आसान होगा।
इन सुधारों के माध्यम से सरकार का उद्देश्य आयकर प्रणाली को अधिक करदाता-मित्रवत बनाना है, जिससे न केवल करदाताओं को लाभ होगा, बल्कि आयकर विभाग की कार्यक्षमता में भी सुधार आएगा।