मुंबई में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पहली मौत की पुष्टि हुई है। बीएमसी के नायर अस्पताल में 53 वर्षीय पुरुष मरीज की वेंटिलेटर पर इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। मरीज बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में कार्यरत थे और वडाला के निवासी थे।
GBS एक दुर्लभ तंत्रिका विकार है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी पक्षाघात हो सकता है। महाराष्ट्र में GBS के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। पुणे में अब तक 99 मामले सामने आए हैं, जबकि पिंपरी-चिंचवड़ और अन्य जिलों में भी मरीज मिले हैं। राज्य में अब तक कुल 130 मरीजों में से 20 वेंटिलेटर पर हैं, और दो की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे उबला हुआ पानी पिएं और खुले में या बासी खाना खाने से बचें। यदि हाथ-पैरों की मांसपेशियों में अचानक कमजोरी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। राज्य सरकार ने GBS के मरीजों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की है, जिसमें पुणे के कमला नेहरू अस्पताल, पिंपरी-चिंचवड़ के वाईसीएम अस्पताल और ग्रामीण क्षेत्रों के ससून अस्पताल में मुफ्त उपचार शामिल है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करता है। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
✅ पैरों और हाथों में झुनझुनी या सुन्नता
✅ मांसपेशियों में कमजोरी, खासकर पैरों और बांहों में
✅ चलने में दिक्कत और संतुलन बिगड़ना
✅ तेज दर्द, खासकर रात में
✅ शरीर के कुछ हिस्सों में सुन्नपन
✅ बोलने और निगलने में कठिनाई
✅ गंभीर मामलों में सांस लेने में समस्या
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के होने का कोई एक निश्चित कारण नहीं होता, लेकिन यह आमतौर पर कुछ संक्रमणों के बाद विकसित हो सकता है, जैसे:
🔹 वायरल संक्रमण (जैसे फ्लू, डेंगू, कोरोना)
🔹 बैक्टीरिया संक्रमण (Campylobacter jejuni, जो फूड पॉइजनिंग का कारण बनता है)
🔹 सर्जरी के बाद की जटिलताएं
🔹 वैक्सीन या दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया (हालांकि यह दुर्लभ है)
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं:
🛑 स्वच्छता बनाए रखें:
✔️ खाने से पहले और टॉयलेट जाने के बाद हाथ धोएं
✔️ साफ और उबला हुआ पानी पिएं
✔️ सड़क किनारे खुले में बिकने वाले खाने से बचें
🛑 संक्रमण से बचाव करें:
✔️ अगर आपको बुखार, दस्त, या गले में संक्रमण हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
✔️ वायरल बीमारियों से बचने के लिए इम्यूनिटी मजबूत करें
✔️ भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें
🛑 शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं:
✔️ संतुलित आहार लें जिसमें हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन हो
✔️ नियमित रूप से व्यायाम करें
✔️ पर्याप्त नींद लें और तनाव से बचें
GBS का इलाज
🔹 इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG): इसमें मरीज को एंटीबॉडी दिए जाते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
🔹 प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasmapheresis): इसमें खून से हानिकारक एंटीबॉडी को हटाया जाता है।
🔹 फिजियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन: मरीज की मांसपेशियों की ताकत को फिर से बढ़ाने में मदद करता है।
80% मरीज छह महीने में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में पूरी तरह ठीक होने में एक साल तक लग सकता है।