एक मुखी रुद्राक्ष - परब्रह्म का स्वरूप है

Jitendra Kumar Sinha
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रूद्राक्ष हृदय को स्वच्छ, मन को शांत तथा दिमाग को शीतल रखता है, दीर्घ आयु एवं स्वास्थ्य प्रदान करता है। जो व्यक्ति रूद्राक्ष धारण करते हैं उनका मन शांत और स्थिर रहता है। रूद्राक्ष धारण करने से तनावजनित बीमारियाँ नहीं होती है। धारक को तनाव से मुक्ति मिलती है। व्यक्तित्व में सात्विक प्रवृति का विकास होता है। 


रुद्राक्ष पर प्राकृतिक रूप से कुछ सीधी खड़ी धारियां बनी रहती है। इसी धारियों को रुद्राक्ष का मुख कहा जाता है। रुद्राक्ष एक मुखी से इक्कीस मुखी तक होता है, लेकिन सामान्यतः एक मुखी से चौदह मुखी तक ही मिल पाता है। एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रत्यक्ष स्वरूप माना गया है। एक मुखी रुद्राक्ष को मोक्ष का प्रतीक भी माना जाता है। एक मुखी रुद्राक्ष का मिलना भी दुर्लभ है।

 

एक मुखी रुद्राक्ष को परब्रह्म माना जाता है। सत्य, चैतन्य स्वरूप परब्रह्म का प्रतीक है। एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से ब्रह्म हत्या जैसे महापाप भी दूर हो जाता है। मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष का दर्शन करने से उसे ब्रह्म दर्शन का लाभ मिलता है।


मुख्य रूप से रुद्राक्ष भारत के उत्तराखंड और कर्नाटक में मिलता है। लेकिन नेपाल की रुद्राक्ष को सर्वश्रेष्ठ रुद्राक्ष माना जाता है और इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी मांग है। एक मुखी रुद्राक्ष की उपलब्धता कम रहने के कारण इसकी कीमत बताना मुश्किल है, लेकिन सुना जाता है कि इसकी कीमत करोड़ों में होता है।


रुद्राक्ष धारण करने के लिए शरीर और मन को शुद्ध रखना चाहिए। सोमवार या किसी भी दिन गंगाजल से धोकर, चंदन और कुंकुम लगाकर, ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप कर, सोने, चांदी या लाल-सफेद धागे में डाल कर गले या दाहिने हाथ की कलाई में धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने वालों को मांस और शराब का सेवन नही करना चाहिए।


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