आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में कई नेताओं के पुत्र चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं, जिनमें जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के पुत्र सोनू सिंह, भारतीय जनता पार्टी के कुम्हरार के विधायक अरुण कुमार सिन्हा के बेटे आशीष सिन्हा, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजीत सिंह, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के पुत्र माधव झा, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार, पूर्व सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के पुत्र अभिमन्यु यादव शामिल हैं और सुर्खियों में हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञ का माने तो परिवारवाद को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया पर विरोधी दल हमेशा राजनीतिक हमला करते रहते हैं। लेकिन आज, कोई भी दल ऐसा नहीं लगता है, जो परिवारवाद से दूर है। देखा जाए तो, नेता पुत्र को ज़्यादातर सफलता नेता पिता के छत्र छाया में ही मिलती है।
अब देखना है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के पुत्र, जगदानंद सिंह के छोटे बेटे, बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव के बेटे नितिन, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के पुत्र, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के बेटे आनंद रमन, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के वरिष्ठ नेता हरि नारायण सिंह के पुत्र चुनाव लड़ते हैं या नहीं।
देखा जाए तो वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपने बेटे सोनू सिंह को राजनीति में आने की स्वीकृति दे दी है। उनका कहना है कि मेरा बेटा राजनीति में पहले से ही आना चाहता था, लेकिन मैंने उससे कहा कि जब तक मैं राजनीति में सक्रिय हूं तब तक ना आए। मेरी बात को उसने माना भी। अब मेरी सक्रियता राजनीति में उतनी नहीं है। ऐसे में मैंने उसे राजनीति में आने की सहमति दे दी है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पटना के कुम्हार से लगातार विधायक रहे अरुण कुमार सिन्हा का कहना है कि अपने बेटे के लिए हम कोई लॉबी नहीं करेंगे। उनका बेटा आशीष सिन्हा क्रिकेटर रहे हैं और पिता के लिए विधानसभा चुनाव में काम करते रहे हैं। पटना विश्वविद्यालय संघ के चुनाव के अध्यक्ष पद को जीत चुके हैं और भाजयुमो में अभी सक्रिय हैं। हमने अपने बेटा को कह दिया है कि अपने बलबूते राजनीति में सक्रिय हो। पटना विश्वविद्यालय का चुनाव अपने बलबूते उसने लड़ा है।
वहीं देखा जाए तो बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं, लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी, तेज प्रताप और पुत्री मीसा भारती, स्व रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान, जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष मांझी, स्व जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा, जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह, शिवानन्द तिवारी के पुत्र राहुल।
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