भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वेरिफिकेशन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि फिलहाल EVM का डेटा न मिटाया जाए और न ही उसमें नया डेटा लोड किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मार्च के पहले सप्ताह में इस मामले की अगली सुनवाई तय की है।
EVM वेरिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर इस याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयोग को EVM की बर्न्ट मेमोरी की जांच के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में कहा गया कि वर्तमान में चुनाव आयोग के मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) में EVM की सिर्फ बुनियादी जांच और मॉक पोल्स का ही निर्देश है, लेकिन बर्न्ट मेमोरी की जांच के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाल ही में जहां भी चुनाव हुए हैं, वहां की EVM का डेटा फिलहाल न डिलीट किया जाए और न ही उसमें कोई नया डेटा लोड किया जाए। अदालत ने कहा कि यदि कोई उम्मीदवार पुनः जांच की मांग करता है, तो इंजीनियरों की एक टीम पांच माइक्रोकंट्रोलर की बर्न्ट मेमोरी की जांच कर सकती है।
पिछले फैसले और याचिकाकर्ताओं की मांग
याचिकाकर्ताओं ने 2024 के सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका खारिज कर दी थी और EVM को सुरक्षित बताया था। हालांकि, पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अदालत ने चुनाव परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह के भीतर EVM की बर्न्ट मेमोरी जांचने की अनुमति दी थी।
ADR की याचिका में चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि EVM के चार मुख्य घटकों – कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, VVPAT और सिंबल लोडिंग यूनिट – के माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए एक मजबूत नीति बनाई जाए।
चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट में देनी होगी सफाई
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा है कि EVM की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया क्या है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हारने वाले उम्मीदवारों को उचित स्पष्टीकरण मिलना चाहिए कि EVM में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हुई है।
हरियाणा के नेताओं की याचिका
हरियाणा के पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल, पांच बार के विधायक लखन कुमार सिंगला और ADR ने इस याचिका को दायर किया था। इन नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग को EVM की संपूर्ण जांच के लिए एक मजबूत और पारदर्शी प्रणाली लागू करनी चाहिए।
EVM से जुड़ी पिछली सुनवाइयां
13 दिसंबर 2024: सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने अपीलकर्ताओं से कहा कि याचिका को पुरानी बेंच के पास भेजा जाए।
26 अप्रैल 2024: अदालत ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को खारिज किया और EVM को सुरक्षित बताया।
24 अप्रैल 2024: 40 मिनट की सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
18 अप्रैल 2024: कोर्ट ने पांच घंटे तक वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनीं और फैसला सुरक्षित रखा।
16 अप्रैल 2024: एडवोकेट प्रशांत भूषण ने VVPAT की स्लिप बैलेट बॉक्स में डालने की मांग की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी। इस दौरान चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना होगा कि EVM की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर डिलीट करने की प्रक्रिया कैसे की जाती है और भविष्य में इसकी पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जा सकती है।
चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह मामला बेहद अहम है। अदालत का यह निर्देश चुनाव आयोग पर EVM वेरिफिकेशन को लेकर स्पष्ट नीति बनाने का दबाव डाल सकता है।