नई दिल्ली में भाजपा सरकार बनने के साथ ही रोहिणी से विधायक विजेंद्र गुप्ता को दिल्ली विधानसभा का स्पीकर बनाया गया है। इस नई भूमिका में उन्होंने सदन के सुचारू संचालन, स्वच्छ वातावरण और स्वस्थ चर्चा को अपनी प्राथमिकताओं में रखा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार नियमों और मर्यादाओं का पालन करने में विफल रही, जिससे जनता ने उन्हें नकार दिया।
बीजेपी सरकार का गठन और नई जिम्मेदारियां
दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में छह मंत्रियों ने शपथ ली। इसी कड़ी में वरिष्ठ भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता को विधानसभा स्पीकर के रूप में चुना गया। 61 वर्षीय गुप्ता रोहिणी निर्वाचन क्षेत्र से 37 हजार से अधिक मतों से विजयी हुए हैं। इससे पहले वह रोहिणी से तीन बार निगम पार्षद भी रह चुके हैं।
स्पीकर बनने पर गुप्ता की प्रतिक्रिया
नवभारत टाइम्स से हुई विशेष बातचीत में विजेंद्र गुप्ता ने स्पीकर पद मिलने पर खुशी जाहिर की। हालांकि, उनकी टोन से यह साफ झलक रहा था कि वह किसी अन्य पद की आकांक्षा रखते थे। जब उनसे पूछा गया कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे तो उन्होंने संक्षेप में कहा कि सभी निर्णय हो चुके हैं और वह नई मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं देते हैं।
राजनीतिक सफर और अनुभव
विजेंद्र गुप्ता 2010 से 2013 के बीच दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। पहले भी उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त माना जाता रहा है, लेकिन भाजपा को चुनावों में सफलता नहीं मिल सकी।
स्पीकर के रूप में प्राथमिकताएं
अपनी प्राथमिकताओं के बारे में बताते हुए विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वह सदन की गरिमा बनाए रखने, सुचारू संचालन और स्वस्थ चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी ने सदन की मर्यादा का पालन नहीं किया, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित होती रही। भाजपा सरकार अब इस गरिमा को पुनः स्थापित करेगी।
आम आदमी पार्टी पर आरोप
गुप्ता ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सदन को एक निजी संगठन की तरह चलाया और नियमों का पालन नहीं किया। उनका कहना था कि केजरीवाल सरकार की हार का मुख्य कारण जनता के प्रति उनकी उदासीनता थी।
भविष्य की योजनाएं
जब उनसे पूछा गया कि स्पीकर के रूप में वह क्या नया करेंगे, तो उन्होंने कहा कि पहले शपथ लेकर कार्यभार संभालेंगे, उसके बाद ही विस्तार से अपनी योजनाओं को साझा करेंगे। उनका मुख्य उद्देश्य सदन की गरिमा और संवैधानिक परंपराओं का सम्मान बनाए रखना रहेगा।
विजेंद्र गुप्ता का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। कभी विधानसभा से निष्कासित होने वाले नेता आज सदन के संचालन की जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह स्पीकर के रूप में अपनी भूमिका कैसे निभाते हैं और दिल्ली की राजनीति में किस तरह का प्रभाव छोड़ते हैं।