हाल में हुए वैश्विक शोध 2024-25 में इस बात का खुलासा हुआ है कि एलईडी लाइट्स का अत्यधिक संपर्क शरीर में विटामिन डी और विटामिन बी 12 की कमी का कारण बन रहा है।
अध्ययन में पाया गया कि 70 फीसदी शहरी लोगों में विटामिन डी का स्तर 20ng/ml से कम और 65 फीसदी लोगों में विटामिन बी 12 का स्तर कम है। एलईडी लाइट के लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले जैसे- आइटी प्रोफेशनर, ऑनलाइन वर्कर विटामिन डी और विटामिन बी12 की कमी से प्रभावित होते हैं।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ 2025 के शोध के अनुसार, जो लोग 10-12 घंटे एलईडी लाइट्स में रहते हैं, उनमें विटामिन बी12 का स्तर 15-20 फीसदी तक घटा हुआ पाया गया।
सूर्य के प्रकाश से मिलने वाला अल्ट्रावायलेट-बी (यूवी-बी) स्पेक्ट्रम त्वचा में विटामिन डी (चोलकैल्सीफेरॉल) के उत्पादन में सहायक होती है, जबकि एलईडी बल्ब ब्लू लाइट स्पेक्ट्रम पर काम करते हैं, इनमें यूवी-बी किरणें नहीं होतीं, जससे शरीर में विटामिन डी का निर्माण बाधित होता है।
विटामिन बी 12 के अवशोषण में बॉडी क्लाक का महत्वपूर्ण योगदान है। एलईडी लाइट्स के अत्यधिक संपर्क से मेलनोप्सिन व मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है। इससे शरीर की बॉडी क्लाक पर असर पड़ता है और शरीर से विटामिन बी12 कम होने लगता है।
अमरीकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल 2024 में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एलईडी लाइट में ज्यादा रहने वालों में विटामिन डी का स्तर 18-22 फीसदी तक कम पाया गया।
सूत्रों का माने तो विटामिन डी की कमी से हड्डियों में कमजोरी, ऑस्टियोपोरोसिस और इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। इसके लिए प्रतिदिन कम से कम 20-30 मिनट धूप में बैठना चाहिए, यूवी-बी लैंप का उपयोग करना चाहिए, डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट लिया जा सकता है, स्क्रीन टाइम को 2-3 घंटे से अधिक न हो और स्क्रीन पर ब्लू लाइट फिल्टर का प्रयोग करना चाहिए।
एलईडी बल्ब के अत्यधिक संपर्क के कारण पाचन तंत्र में असंतुलन से विटामिन बी12 की कमी होती है। इससे एनीमिया, नर्वस सिस्टम पर असर, मेमोरी लॉस का खतरा और थकावट जैसी समस्याएं होती हैं। इसके लिए विटामिन बी 12 सप्लीमेंट्स, मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों का सेवन बढ़ाना चाहिए।
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