'इन डिफेंस ऑफ डॉग्स' और 'एनिमल्स अमंग अस' किताबों के लेखक जॉन ब्रैडशों के अनुसार कुत्ते, भेड़ियों की नस्ल के दूर के वशंज हैं, जो हजारों साल पहले विलुप्त हो गई थी। अमरीका और यूरोप में आज जो भेड़िए पाए जाते हैं, उनका डीएनए कुत्तों के डीएनए से 99 प्रतिशत मेल खाता है।
कुत्तों के कई आकार और कई सारी नस्ल होते हैं। जबकि अन्य जंगली या पातलू जानवरों में नहीं होता हैं। कुत्तों की शारीरिक विविधता की भी एक सीमा होती है। सबसे छोटे आकार के कुत्ते चिवावा से लेकर सबसे बड़े आकर के कुत्ते ग्रेट डेन की शारीरिक संरचना उसी ढांचे पर बनी है, जैसी उनके पुरखे भेड़ियों की थी। भले ही सभी के आकार और नस्लें अलग अलग हों मगर समानताएं काफी हैं।
कुत्तों में सूंघने की क्षमता जेकबसन/वोमेरोनेजल नाम के अंग के कारण होता है जो कुत्ते के नथुनों और मुंह के ऊपरी हिस्से पर होता है। वैज्ञानिकों का माने तो यह अभी तक पता नहीं चल सका है कि कुत्ते के इस अंग में यह क्यों होता है।
कुत्तों को यह अहसास नहीं होता कि उन्होंने कुछ गलत कर दिया है। विज्ञान बताता है कि कुत्ते उस समय सामने खड़े आदमी की बॉडी लैंग्वेज के आधार पर प्रतिक्रिया देती हैं। लेकिन कुत्ते के पिल्ले को यह पता चल जाता है कि इंसानों का स्वभाव दोस्ताना होता है, उसका स्वाभाविक ज्ञान उसे बताता है कि इस व्यक्ति के साथ रहने में ही उसके जीवित रहने की ज्यादा संभावनाए हैं।
नैशनल जियोग्राफिक के अनुसार इंसानों के साथ रहने के कारण कुत्तों में विलियम्स सिंड्रोम जैसा ही एक सिंड्रोम पैदा हो जाता है। कुत्तों में ऋरक और सरकाका नाम के जीन्स अलग होते हैं। इसी कारण से कुत्ते इंसानों के संपर्क में आकर ज्यादा दोस्ताना हो जाते हैं।
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