भारत के बिहार प्रदेश स्थित सासाराम जिला में 52 शक्तिपीठों में से एक है ताराचंडी। पुराण के अनुसार, भगवान शिव की पत्नी पार्वती जी जब अपने पिता के घर पर अपने स्वामी (पति) की अवमानना को देखकर वहीं अग्नि कुंड में प्रवेश कर आत्मदाह कर लेती है। पार्वती जी को पिता के घर में सती नाम से संबोधित किया जाता था। सती (पार्वती जी) जब आत्मदाह कर ली तो भगवान शिव क्रोधित होकर सती के शव को अपने कंधे पर उठाकर तांडव नृत्य करने लगे, भगवान विष्णु ने विश्व रक्षार्थ भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव को खंडित किया, सती के शव खंडित होकर 51 स्थानों पर गिरा। जहां जहां खंडित शव गिरा वह सभी स्थल शक्तिपीठ कहलाया। बिहार प्रदेश स्थित सासाराम जिला में सती का दाहिना नेत्र गिरा था, जिसके कारण यह स्थान मां चंडी धाम के रूप में विख्यात हुआ।
कैमूर की पहाड़ियों में यह आकर्षक मंदिर भक्तजनों के लिए सिद्धकारी माना जाता है। यहां महादेव का गुप्त गुफा, पार्वती मंदिर, सहस्त्रबाहु, भगवान परशुराम मंदिर और मंझार कुंड एवं धुआं कुंड दो आकर्षक जलप्रपात भी है।
सासाराम में दस महाविद्याओं में दूसरी है मां तारा। मां तारा की प्रतिमा प्रत्यालीढ़ मुद्रा में, बायां पैर आगे शव पर आरूढ़ है। कद में अपेक्षाकृत नाटी हैं, लंबोदर हैं और वर्ण नीला है। देवी चतुर्भुजी हैं, दाहिने हाथ में खड्ग और कैंची, बाएं हाथ में मुंड और कमल, कटि में व्याघ्रचर्म लिपटा है। मां तारा की यह मूर्ति कैमूर की पहाड़ी प्राकृतिक गुफा में है, जो पत्थर पर उत्कीर्ण है। गुफा के बाहर आधुनिक काल में मंदिर का स्वरूप दिया गया है। गुफा की ऊंचाई लगभग चार फीट है। गुफा के अंदर और बाहर की मूर्तियां पूर्व मध्यकालीन हैं।
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