रूद्राक्ष धारण का आध्यात्मिक महत्त्व के साथ वैज्ञानिक महत्त्व भी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि रूद्राक्ष में चुम्बकीय आकर्षण और विद्युतीय शक्ति विद्यमान है, जिससे रूद्राक्ष धारण करने वालों को शारीरिक दृष्टि से अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए अब चुम्बकीय लाभ के लिए भी रूद्राक्ष का उपयोग किया जाने लगा है।
छह मुखी रुद्राक्ष को षडानन कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, छह मुखी रुद्राक्ष को स्वयं कार्तिकेय अपने सिर में धारण करते थे। छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति शिक्षा, काव्य, व्याकरण, निरुक्त, छंद, ज्योतिषशास्त्र, चारों वेद तथा रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों का मर्मज्ञ विद्वान हो सकता है अर्थात् विद्याव्यसनी लोगों के लिए छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना सर्वोत्तम है।
छह मुखी रुद्राक्ष के विषय में कहा जाता है कि यह छह प्रकार की ऊर्मि- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर को नष्ट करने वाले होते हैं।
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति कार्तिकेय का सान्निध्य प्राप्त करता है। छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य की सोई हुई शक्तियाँ जाग्रत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल होती है और बुद्धि तीव्र होती है। छह मुखी रुद्राक्ष धारक को आत्म-शक्ति, संकल्प-शक्ति और ज्ञान-शक्ति प्रदान करता है। इसके धारण करने से अनेक प्रकार के चर्मरोग, हृदय की दुर्बलता तथा नेत्र रोग दूर होते हैं। इस रुद्राक्ष को दाहिने हाथ या गले में धारण किया जाता है।