भारत का इतिहास अनेक शासकों और साम्राज्यों का गवाह रहा है। मुग़ल और ब्रिटिश दोनों ने भारत पर शासन किया, लेकिन सवाल यह उठता है कि भारत को सबसे अधिक किसने लूटा? इस लेख में हम तथ्यों के आधार पर इस विषय पर गहराई से विचार करेंगे।
मुग़ल शासन और भारत की अर्थव्यवस्था
मुग़ल वंश ने भारत पर लगभग 300 वर्षों तक शासन किया। बाबर से लेकर बहादुर शाह ज़फर तक, इस साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप पर अपनी पकड़ बनाए रखी।
भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास:
मुग़लों के शासनकाल में भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक जीडीपी का लगभग 25% थी।
व्यापार, कृषि, और शिल्प-कला को बढ़ावा दिया गया।
ताजमहल, लाल क़िला, कुतुब मीनार जैसी भव्य इमारतें इसी काल में बनीं।
कर व्यवस्था और संपत्ति:
मुग़लों ने कर वसूली की व्यवस्था बनाई जो किसानों और व्यापारियों से राजस्व एकत्र करती थी।
कुछ मुग़ल शासकों ने संपत्ति का दुरुपयोग किया, लेकिन अधिकतर धन भारत में ही पुनः निवेश किया गया।
सोने-चांदी का प्रवाह:
मुग़ल भारत से धन तो इकट्ठा करते थे, लेकिन वे इसे भारत के अंदर ही खर्च करते थे।
ब्रिटिश शासन और भारत की लूट
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में प्लासी की लड़ाई जीतने के बाद भारत पर धीरे-धीरे अधिकार कर लिया। 1858 में भारत ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया।
भारत की आर्थिक गिरावट:
18वीं शताब्दी में भारत की जीडीपी वैश्विक जीडीपी का 24% थी, जो ब्रिटिश शासन के अंत तक मात्र 4% रह गई।
भारतीय उद्योगों को ध्वस्त किया गया और ब्रिटिश वस्तुओं को प्राथमिकता दी गई।
कृषि और कर प्रणाली:
ज़मींदारी प्रथा लागू की गई जिससे किसानों पर कर का बोझ बढ़ा।
भारतीय किसानों को निर्यात के लिए नकदी फसलें उगाने को मजबूर किया गया, जिससे अकाल की स्थिति बनी।
सोने और संपत्ति की लूट:
ब्रिटिश शासन ने भारत से लगभग 45 ट्रिलियन डॉलर (प्रसिद्ध अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक के अनुसार) की संपत्ति लूटी।
भारत से कच्चा माल निकाला गया और ब्रिटेन में उत्पाद बनाकर महंगे दामों पर भारत में बेचा गया।
बुनियादी ढांचे का दुरुपयोग:
रेलवे और अन्य सुविधाएँ केवल ब्रिटिश लाभ के लिए बनाई गईं।
भारतीय उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से बाहर किया गया।
कौन था सबसे बड़ा लुटेरा?
मुग़ल शासन के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था समृद्ध थी और धन का उपयोग भारत के अंदर ही होता था। ब्रिटिश शासन ने भारत को औपनिवेशिक शोषण का शिकार बनाया और अर्थव्यवस्था को पूरी तरह नष्ट कर दिया। आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि ब्रिटिश शासन ने भारत को सबसे अधिक लूटा।
भारत की आर्थिक ताकत को छीनकर ब्रिटेन समृद्ध बना, जबकि भारत गरीबी और भुखमरी की ओर धकेल दिया गया। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक नीति का ही परिणाम था कि भारत स्वतंत्रता के समय एक कमजोर अर्थव्यवस्था में बदल चुका था।