सनातन, बौद्ध एवं जैन धर्म का संगम स्थल है चतरा के कौलेश्वरी पहाड़

Jitendra Kumar Sinha
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भारत के झारखंड प्रदेश के चतरा जिला में माता भद्रकाली और माता कौलेश्वरी मंदिर है। चतरा के हंटरगंज से 6 किलोमीटर दूर वैदिक काल से मान्यता प्राप्त तीर्थ स्थल माता कौलेश्वरी मंदिर है। यहां के पहाड़ की चोटी पर सनातन, बौद्ध एवं जैन धर्म का संगम स्थल माना जाता है।


किदवंती है कि महाभारत काल में राजा विराट की राजधानी थी। धर्मपरायण राजा विराट ने ही मां कौलेश्वरी की प्रतिमा को स्थापित किया था। तब से मां कौलेश्वरी मंदिर लोगों के आस्था का केन्द्र बना हुआ हैं। महाकाव्य काल एवं पुराणकाल से भी इस स्थल का रिश्ता जुड़ा हुआ है। 


सनातन धर्मावलंबी लोग यहां पूजा-अर्चना के साथ साथ विवाह और बच्चों का मुंडन संस्कार करते आ रहे हैं।


बौद्ध धर्मावलंबी के लिए कौलेश्वरी पहाड़ भगवान बुद्ध की तपोभूमि के साथ मोक्ष प्राप्त करने का एक पवित्र स्थल है। यहां के मांडवा मांडवी नामक स्थल पर बौद्ध धर्मावलंबी बाल व नाखून का दान कर मोक्ष प्राप्त करने का संस्कार करते हैं । पहाड़ के कई पाषाणों में बौद्ध भिक्षुओं की प्रतिमाएं उत्कीर्ण है। 


जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर स्वामी शीतलनाथ की तपोभूमि कौलेश्वरी पहाड़ को माना जाता है। धर्मावलंबियों ने पहाड़ की चोटी पर एक मंदिर का भी निर्माण किया है, जिसमें भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमाएं स्थापित है। इसकी सबसे ऊँची चोटी को आकाश लोचन कहा जाता है। 


पहाड़ की चोटी पर बनी प्राचीन मंदिर में मां कौलेश्वरी की दिव्य प्रतिमा है। माता की प्रतिमा काले दुर्लभ पत्थर को तराश कर बनाई गई है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, माता यहां जागृत अवस्था में विराजमान हैं। यहां सच्चे मन से मन्नत मांगने वाले भक्तों की हर मुराद माता पूरी करती हैं। कौलेश्वरी सिद्धपीठ के रूप में चिन्हित है।


दुर्गा सप्तशती में कहा गया है- “कुलो रक्षिते कुलेश्वरी” अर्थात कूल की रक्षा करने वाली कुलेश्वरी। किवदंती है कि श्रीराम, लक्ष्मण सीता ने वनवास काल में यहां समय व्यतीत किया था। यह भी किदवंती है कि कुंती ने अपने पांचों पुत्रों के साथ अज्ञातवास का काल यहीं बिताया था। यह भी किदवंती है कि अर्जुन के बेटे अभिमन्यु का विवाह मत्स्य राज की पुत्री उत्तरा से यहीं हुआ था।


नवरात्र के अवसर पर पूरे इलाके के लोगों की आस्था यहां दिखती है। प्रत्येक वर्ष चीन, बर्मा, थाईलैंड, श्रीलंका, ताइवान आदि देशों से काफी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।

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