वाराणसी (काशी), भारत – होली का त्योहार रंगों और उमंग का प्रतीक माना जाता है, लेकिन काशी में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, जिसे ‘मसान होली’ कहा जाता है। यह होली रंगों से नहीं, बल्कि चिता की राख से खेली जाती है और बाबा महादेव को समर्पित होती है। काशी के मणिकर्णिका घाट पर आयोजित इस अनूठी होली का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक गहरा है।
क्या है मसान होली?
‘मसान’ का अर्थ होता है श्मशान, और इस होली को ‘श्मशान की होली’ भी कहा जाता है। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट, जो हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति के पवित्र स्थल माने जाते हैं, वहीं यह परंपरा निभाई जाती है। मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव श्मशान में निवास करते हैं और उनकी अनूठी बारात में भूत, प्रेत, पिशाच और अघोरी शामिल होते हैं।
माना जाता है कि बाबा महादेव जब आनंद में होते हैं, तो वे स्वयं अपने गणों के साथ श्मशान में होली खेलते हैं। इसी मान्यता के चलते महाशिवरात्रि के बाद फाल्गुन मास में यहां चिता की राख से होली खेली जाती है।
मसान होली की परंपरा और महत्व
यह अनूठी होली सिर्फ काशी में ही देखने को मिलती है। इसमें साधु-संत, अघोरी और श्रद्धालु चिता की राख से एक-दूसरे को रंगते हैं। माना जाता है कि मसान होली जीवन और मृत्यु के बीच के अंतर को समाप्त कर देती है और व्यक्ति को मोक्ष का संदेश देती है। इस परंपरा के पीछे गहरी आध्यात्मिक मान्यता है कि मृत्यु के बाद सभी को मोक्ष की प्राप्ति होती है और यह संसार नश्वर है।
श्रद्धालु बाबा महादेव के भजन गाते हैं, डमरू बजाते हैं, और ‘हर हर महादेव’ के जयकारे लगाते हुए इस पर्व को आनंद के साथ मनाते हैं।
कैसे खेली जाती है मसान होली?
- मणिकर्णिका घाट पर पहले शिव तांडव स्तोत्र और बाबा महादेव के भजनों का आयोजन किया जाता है।
- चिता भस्म को रंग की तरह इस्तेमाल किया जाता है और श्रद्धालु इसे अपने शरीर पर लगाते हैं।
- अघोरी संत और नागा साधु इस दौरान विशेष रूप से उपस्थित होते हैं और वे भगवान शिव की साधना के साथ इस उत्सव को मनाते हैं।
- इसमें शामिल होने वाले लोग मृत्यु के भय से ऊपर उठने और जीवन-मरण के चक्र को समझने का प्रयास करते हैं।
मसान होली का संदेश
मसान होली हमें यह सिखाती है कि जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह परंपरा मृत्यु को लेकर समाज में व्याप्त डर को कम करने और मोक्ष के महत्व को समझाने का कार्य करती है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में यह अनोखी होली न सिर्फ श्रद्धा और भक्ति का संगम है, बल्कि यह यह संदेश भी देती है कि जीवन क्षणभंगुर है और मृत्यु के बाद मोक्ष ही अंतिम सत्य है।
मसान होली काशी की अनूठी परंपरा है, जो बाबा महादेव की नगरी को और भी विशेष बनाती है। जब पूरा भारत रंगों की होली में डूबा होता है, तब काशी में मृत्यु को उत्सव के रूप में स्वीकार करने वाली यह होली खेली जाती है। यह त्योहार आध्यात्मिक चेतना, शिव भक्ति और मोक्ष की अवधारणा को गहराई से महसूस करने का अवसर प्रदान करता है।