बारह मुखी रुद्राक्ष को द्वादश आदित्य का स्वरूप माना गया है। बारह मुखी रुद्राक्ष साक्षात बारह ज्योतिर्लिंग (सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकाल, ओंकारेश्वर वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वेश्वर, त्र्यम्बकेश्वर, केदारेश्वर, घुस्मेश्वर) के स्वरूप का प्रतीक माना गया है। द्वादशाक्षर मंत्र (ओ३म नमो भगवते वासुदेवाय) के जप करने से जो फल मिलता है, वह बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से धारक को सहज ही प्राप्त हो जाता है। बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सम्पूर्ण बारह आदित्य प्रसन्न होते हैं। यह रुद्राक्ष साक्षात सूर्य का स्वरूप माना गया है। यह बड़ा शक्तिशाली और तेजस्वी रुद्राक्ष होता है। इसे धारण करने वाले को हिंसक पशुओं का भय नहीं रहता। इसे धारण करने से सभी प्रकार की शारीरिक व मानसिक पीड़ा मिट जाती है और ऐश्वर्य युक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।
बारहमुखी रुद्राक्ष महाविष्णु का प्रतीक है। बारहों आदित्यगण भी इसके देवता माने गये हैं। इसको धारण करने से जंगली जानवरों, लुटेरों, रोगादि का भय नहीं रहता। धारणकर्ता सम्मान, यश पाता है।
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