शिवपुराण, स्कंदपुराण, देवीभागवतपुराण में रूद्राक्ष के महत्व को बताया गया है। रूद्राक्ष दर्शन, स्पर्श और जाप से पापों का नाश होता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् विश्वेश्वर का स्वरूप माना गया है। तेरह मुखी रुद्राक्ष के संबंध में कहा गया है कि तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही विश्वेदेव प्रसन्न होते हैं। इसका स्पर्श व दर्शन करने मात्र से ही करोड़ों महापातक नष्ट हो जाते हैं।
तेरह मुखी रुद्राक्ष को इन्द्र का स्वरूप भी माना गया है। यह रुद्राक्ष सभी के अर्थ तथा सिद्धियों की पूर्ति करता है। यह रुद्राक्ष रस-रसायन तथा धातुओं की सिद्धि देने वाला तथा सभी प्रकार का यश प्रदान करने वाला होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाएँ स्वतः ही पूर्ण हो जाती हैं। यह परम प्रतापी तथा तेजस्वी रुद्राक्ष माना गया है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष कामदेव का रूप है। इसको धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा स्वजनों की हत्या का दोष दूर हो जाता है।
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