गौरी शंकर रुद्राक्ष

Jitendra Kumar Sinha
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प्राकृतिक रूप से परस्पर, दो जुड़े हुए रुद्राक्षों को, गौरी शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है। गौरी शंकर रुद्राक्ष को उभयात्मक-शिव और शक्ति का स्वरूप माना गया है। यह सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले होते हैं। यह कुण्डलिनी जागरण में सहायक होता है।


गौरी शंकर रुद्राक्ष भी प्रायः बहुत कम उपलब्ध होते हैं। जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करने में असमर्थ हो, उनके लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष अति उत्तम होता है। गौरी शंकर रुद्राक्ष घर के पूजा गृह में, तिजोरी में, रखने से मंगल कामना की सिद्धि में लाभदायक होता है। साधक को, गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण जरूर करना चाहिए। 


गौरी शंकर रुद्राक्ष सोमवार के दिन शिवलिंग से स्पर्श कराकर धारण करना चाहिए। गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करते समय  'ॐ नमः शिवाय'  पंचाक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए। श्रद्धा और विश्वास से गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने पर शिव और शक्ति की सदा कृपा बनी रहती है।


एक मुखी रुद्राक्ष से चौदह मुखी रुद्राक्ष तक, रुद्राक्षों के पृथक-पृथक देवता हैं और इन्हें धारण करने से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।


साधारणतया रुद्राक्ष को बिना मंत्रादि का उच्चारण किये भी धारण किया जाता है, किंतु यदि शास्त्रीय विधि से रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करके धारण किया जाये, तो अति उत्तम होता है। मंत्र द्वारा रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर लेने से, रुद्राक्ष में विलक्षण शक्ति आ जाती है और यह अभिमंत्रित रुद्राक्ष धारक को अधिक फल प्रदान करता है।


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