बिहार सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास की दिशा में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ अनुरक्षण (मरम्मति) कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में कुल 6043 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों की मरम्मत सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। इस कार्य पर कुल 3059 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है, जबकि इसके लिए 3294 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे।
यह कार्यक्रम अब ‘बिहार ग्रामीण पथ अनुरक्षण नीति 2018’ के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सड़कों के निर्माण के बाद उनकी समय-समय पर देखभाल और मरम्मत होती रहे, ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे और ग्रामीण कनेक्टिविटी मजबूत हो।
वास्तव में, यह नीति ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करने में एक अहम कड़ी बन चुकी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस योजना में हर वर्ष निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। यदि वर्ष 2006-07 की तुलना करें, तो उस समय मात्र 106 करोड़ रुपये इस योजना पर खर्च हुए थे, जबकि आज यह आंकड़ा 3059 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह न केवल राज्य सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि ग्रामीण भारत के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।
इस योजना के परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति में स्पष्ट सुधार देखा जा रहा है। पहले जहां बारिश के मौसम में कीचड़ और गड्ढों से जूझना आम बात थी, अब वही सड़कें सुदृढ़ और यातायात योग्य बन चुकी हैं। इससे ग्रामीण जनता को अनेक सुविधाएं मिली हैं —
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किसानों को अपने उत्पाद बाजार तक पहुंचाने में सुविधा,
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बच्चों को स्कूल तक सुरक्षित और समय पर पहुंचने की सहूलियत,
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गंभीर मरीजों को समय पर अस्पताल तक लाने में मदद,
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गांवों को शहरी क्षेत्रों से बेहतर जुड़ाव।
मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ अनुरक्षण कार्यक्रम आज ग्रामीण बिहार की प्रगति की रीढ़ बन चुका है। यह योजना केवल सड़कों की मरम्मत भर नहीं कर रही, बल्कि गांवों को मुख्यधारा से जोड़कर राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
बिहार सरकार की यह पहल न सिर्फ वर्तमान की जरूरतों को पूरा कर रही है, बल्कि आने वाले वर्षों में एक सुदृढ़, टिकाऊ और समावेशी विकास मॉडल की नींव भी रख रही है।