लड़का-लड़की की शादी के लिए पहले जन्मकुंडली मिलाई जाती थी, बाद में जन्मकुंडली और मेडिकल चेकअप देखे जाने लगा। लेकिन अब शादी के लिए जन्मकुंडली, मेडिकल चेकअप के साथ-साथ शादी करने की कड़ी में लड़का-लड़की का सिविल स्कोर भी देखा जाने लगा है।
पढ़ी-लिखी युवतियों की शादी से पहले लड़का का सिबिल स्कोर जांचने की परम्परा तेजी से बढ़ रही है।
वित्तीय साक्षरता में वृद्धि के चलते महिलाओं में क्रेडिट स्कोर को लेकर जागरूकता बढ़ी है। बीएसई- सीएमआईई उपभोक्ता पिरामिड सर्वे 2024 के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 76% महिलाएं विवाह से पहले जीवनसाथी की वित्तीय स्थिति पर विचार करती हैं। इनमें से 42% युवतियां शादी से पहले साथी का क्रेडिट स्कोर जांचने के लिए उत्सुक रहती हैं।
सिबिल स्कोर किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री का मूल्यांकन करता है, जो 300 से 900 के बीच होता है। उच्च सिबिल स्कोर (750) व्यक्ति की वित्तीय स्थिरता और समय पर ऋण चुकाने की क्षमता को दर्शाता है।
कर्नाटक के मैसूरूले युवती ने युवक का सिबिल स्कोर चेक किया। कम सिबिल स्कोर के कारण परिजन ने रिश्ता करने से मना कर दिया। महाराष्ट्र के मुर्तिजापुर दुल्हन ने दूल्हे का कमजोर सिबिल स्कोर और कर्ज ज्यादा होने के कारण शादी से इंकार कर दिया।
अब लड़का भी शादी से पहले लड़की पर एजुकेशन लोन जांच रहे हैं ताकि, शादी के बाद उन्हें लोन न चुकाना पड़े। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए मुश्किल हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णय में वित्तीय पारदर्शिता आवश्यक है। सिबिल स्कोर की जांच से न केवल वर्तमान ऋण और देनदारियों की जानकारी मिलती है, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि व्यक्ति अपने वित्तीय दायित्वों को कितनी गंभीरता से लेता है।
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