अमेरिका द्वारा चीन पर 125% तक के टैरिफ लगाए जाने के बाद, चीनी कंपनियां भारत जैसे बाजारों की ओर रुख कर रही हैं और भारतीय खरीदारों को 5% तक की छूट की पेशकश कर रही हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में सस्ते इलेक्ट्रॉनिक सामानों की उपलब्धता इतनी आसान नहीं होगी। इसके पीछे कई कारण हैं:
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आयात शुल्क और गुणवत्ता नियंत्रण: भारत सरकार 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत आयातित इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों पर उच्च आयात शुल्क और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू कर रही है, जिससे आयातित सामान की लागत बढ़ जाती है।
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मुद्रा विनिमय दर: भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है, जिससे आयात की कुल लागत बढ़ जाती है और छूट का लाभ कम हो जाता है।
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अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: हालांकि अमेरिका ने भारत पर लगाए गए 26% टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित किया है, फिर भी भारतीय कंपनियों को अमेरिका में अपने उत्पादों की बिक्री में कठिनाई हो सकती है, जिससे वे सस्ते चीनी कच्चे माल के आयात में हिचकिचा सकती हैं।
इसके अलावा, सरकार सस्ते चीनी सामानों के आयात को रोकने के लिए डंपिंग शुल्क लगाने पर विचार कर रही है। इसलिए, भले ही चीनी कंपनियां भारत को सस्ते दामों पर सामान बेचने को तैयार हों, लेकिन विभिन्न आर्थिक, नीतिगत और व्यावहारिक कारणों से भारतीय उपभोक्ताओं को इसका सीधा लाभ मिलना मुश्किल हो सकता है।