कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी की सख्त हिदायत

Jitendra Kumar Sinha
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निगरानी विभाग के कार्यों में तेजी लाने और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने को लेकर एक महत्त्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन मुख्य सचिवालय स्थित अधिवेशन भवन में किया गया। इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने सभी जिलों के निगरानी पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि नए निगरानी कानून के तहत पंजीकृत मामलों का निपटारा दो से तीन वर्षों के भीतर अनिवार्य रूप से किया जाए।


इस अवसर पर चौधरी ने जिलों से आए अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिलों में स्थापित निगरानी कोषांगों को पूरी तरह सक्रिय करते हुए भ्रष्ट पदाधिकारियों की पहचान करें और उनकी अवैध संपत्तियों की जांच कर ठोस कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि निगरानी की कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि उसका असर ज़मीनी स्तर पर दिखाई दे।


उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी सरकारी कार्य निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से होने चाहिए, ताकि आम जनता को योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके। इसके लिए निगरानी कोषांगों को अपने स्तर पर नियमित मॉनीटरिंग करनी होगी। साथ ही दलालों और बिचौलियों पर कठोर कार्रवाई की जाए, जो योजनाओं में बाधा बनते हैं।



हेल्पलाइन नंबर अनिवार्य रूप से चालू रहें

कार्यशाला में इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई कि कई जिलों में निगरानी से जुड़ा हेल्पलाइन नंबर अभी तक सक्रिय नहीं है, जैसे कि भागलपुर, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, रोहतास, अरवल और पूर्णिया। अपर मुख्य सचिव ने संबंधित डीएम से संपर्क कर जल्द से जल्द इन नंबरों को क्रियाशील कराने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक जिले को एक विशेष मोबाइल नंबर जारी करना होगा, जिससे आम नागरिक सीधे निगरानी कोषांग से संपर्क कर सकें।


इसके अलावा उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही परिवाद दर्ज किए जाएं और उनका उत्तर भी उसी माध्यम से दिया जाए, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।



निगरानी कोषांग को “त्रिशक्ति” की भूमिका निभानी होगी

इस कार्यशाला में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक जितेंद्र सिंह गंगवार ने भी अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर निगरानी कोषांग में कार्यरत तीनों प्रमुख—पुलिस अधिकारी, मैजिस्ट्रेट और इंजीनियर—को एकजुट होकर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने इसे “त्रिशक्ति” की संज्ञा दी और कहा कि सभी पदाधिकारी मिलकर प्रभावी रणनीति अपनाएं और कानून के तहत ठोस कार्रवाई करें।


गंगवार ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष 15 मामलों में भ्रष्ट लोकसेवकों के विरुद्ध कार्रवाई हुई थी, जबकि इस वर्ष अब तक 14 मामले दर्ज हो चुके हैं, और आगे इस संख्या में तीव्र वृद्धि होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि निगरानी कोषांग को अब निष्क्रिय रहने का विकल्प नहीं है—अब समय है “एक्शन मोड” में आने का।



डिजिटल साक्ष्य और तकनीकी उपकरणों का उपयोग अनिवार्य

विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) के अपर पुलिस महानिदेशक पंकज कुमार दाराद ने इस कार्यशाला में कहा कि नए निगरानी कानून के तहत हर कार्रवाई का डिजिटल साक्ष्य होना चाहिए। इसके लिए खुफिया कैमरे, रिकॉर्डिंग डिवाइस और अन्य आधुनिक तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए, जिससे अदालत में ठोस सबूत प्रस्तुत किया जा सके।



अन्य अधिकारी भी रहे मौजूद

इस कार्यशाला में कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की डीआईजी एस प्रेमलथा, डीआईजी नवीन चंद्र झा, डीआईजी विकास कुमार, डीआईजी मृत्युंजय कुमार चौधरी, संयुक्त सचिव (विधि) अंजु सिंह, तकनीकी परीक्षक कोषांग के अभियंता प्रमुख (प्र.) राज कुमार, एसवीयू के पुलिस अधीक्षक जेपी मिश्रा, पुलिस अधीक्षक सुबोध कुमार विश्वास, मो. सैफुर्र रहमान, मनोज कुमार, बमबम चौधरी, और विधि पदाधिकारी नरेंद्र कुमार राय शामिल थे।


कार्यशाला का संचालन निगरानी विभाग के संयुक्त सचिव रामा शंकर ने किया। कार्यक्रम में निगरानी से जुड़ी अब तक की कार्रवाई, भ्रष्टाचार की वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीतियों पर पीपीटी के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी गई।

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