सर्वोच्च न्यायालय के अहम फैसले के बाद, ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने सोमवार को, अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षण में वर्गीकरण, यानि कोटे में कोटा, लागू किया है। तेलंगाना सरकार के इस फैसले से अनुसूचित जाति (एससी) की वंचित जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
ऐसा करने वाला तेलंगाना पहला राज्य बन गया है।
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर तेलंगाना सरकार के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की सरकार ने तेलंगाना अनुसूचित जाति (आरक्षण का युक्तिकरण) अधिनियम, 2025 लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है।
अधिसूचना जारी होने से तेलंगाना प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए लागू 15-फीसदी आरक्षण, तीन हिस्सों में विभाजित होगा।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अगस्त 2024 में ही सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद, विधानसभा में घोषणा की थी कि इस फैसले को लागू किया जाएगा।
तेलंगाना सरकार ने डेटा और लोगों का पक्ष सुनने के लिए जस्टिस शमीम अख्तर आयोग का गठन किया था। आयोग ने अलग-अलग अनुसूचित जाति (एससी) के जातियों की सामाजिक, शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट के आधार पर वर्गीकरण लागू किया गया।
आयोग की सिफारिश पर 59 एससी समुदायों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 15% आरक्षण के लिए तीन समूहों में विभाजित किया गया है। इस विभाजन के बाद अब अनुसूचित जाति (एससी) का कोटा ग्रुप “ए” में शामिल 15 जातियां अनुसूचित जाति (एससी) में 3.30 प्रतिशत को एक प्रतिशत, ग्रुप “बी”में शामिल किया 18 जातियां अनुसूचित जाति (एससी) में 62.74 प्रतिशत को 9 प्रतिशत, ग्रुप “सी” में शामिल किया 26 जातियां अनुसूचित जाति (एससी) में 33.96 प्रतिशत को 5 प्रतिशत, आरक्षण दिया गया है।
ध्यातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय की सात सदस्यीय संविधान बेंच ने पंजाब राज्य एवं अन्य बनाम दविंदर सिंह एवं अन्य मामले में 1 अगस्त 2024 को 6:1 के बहुमत के फैसले से एससी-एसटी में वर्गीकरण को संवैधानिक मानते हुए इसकी अनुमति दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्यों को डेटा के आधार पर आरक्षण में वर्गीकरण करने का अधिकार है। पंजाब सरकार ने अभी तक इस फैसले को लागू नहीं किया है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला पंजाब सरकार की अपील पर आया था।
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