भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास "न्यूक्लियर ट्रायड" यानी परमाणु त्रिशक्ति की क्षमता है। इसका अर्थ है कि भारत थल, जल और वायु—तीनों माध्यमों से परमाणु हमला करने में सक्षम है। यह क्षमता भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे परमाणु महाशक्तियों की श्रेणी में स्थान देती है।
थल से परमाणु शक्ति
भारत के पास कई प्रकार की भूमि-आधारित बैलिस्टिक मिसाइलें हैं:
-
पृथ्वी-II: 350 किमी तक मारक क्षमता।
-
अग्नि-I: 700 किमी तक की पहुंच।
-
अग्नि-II: 2,000 किमी तक वार करने में सक्षम।
-
अग्नि-III: 3,000 किमी की दूरी तक लक्ष्य भेदने की क्षमता।
-
अग्नि-V: 5,000 किमी से अधिक की मारक क्षमता।
ये मिसाइलें भारत को अपने दुश्मनों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं।
वायु से परमाणु शक्ति
भारतीय वायुसेना के पास कई ऐसे लड़ाकू विमान हैं जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं:
-
सुखोई-30MKI
-
मिराज-2000
-
जगुआर
-
राफेल
ये विमान परमाणु ग्रैविटी बमों को लक्ष्य तक पहुंचाने में सक्षम हैं, जिससे भारत की वायु-आधारित प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
जल से परमाणु शक्ति
भारत की समुद्री परमाणु शक्ति का मुख्य आधार है INS अरिहंत, जो एक परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है। यह पनडुब्बी K-15 सागरिका मिसाइलों से लैस है, जिनकी मारक क्षमता 750 किमी तक है। INS अरिहंत की तैनाती ने भारत की समुद्री प्रतिरोधक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
परमाणु त्रिशक्ति का महत्व
परमाणु त्रिशक्ति भारत को "सेकंड स्ट्राइक" क्षमता प्रदान करती है, यानी यदि कोई देश भारत पर परमाणु हमला करता है, तो भारत तीनों माध्यमों से जवाबी हमला करने में सक्षम है। यह क्षमता भारत की "नो फर्स्ट यूज" नीति को और अधिक प्रभावी बनाती है, जिससे दुश्मन देशों को भारत पर हमला करने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर होना पड़ता है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भारत के अलावा केवल अमेरिका, रूस, और चीन के पास पूर्ण परमाणु त्रिशक्ति है। पाकिस्तान के पास अभी तक समुद्री-आधारित परमाणु मिसाइलों की पूर्ण क्षमता नहीं है, जिससे वह इस सूची में शामिल नहीं हो पाया है।
भारत की परमाणु त्रिशक्ति न केवल उसकी सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति को भी सुदृढ़ बनाती है। यह क्षमता भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ-साथ वैश्विक शक्तियों के बीच भी एक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।