पानी सिर्फ एक प्राकृतिक संसाधन नहीं है, बल्कि यह जीवन, विकास और रणनीति का भी मूल आधार है। हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार और जल संसाधन मंत्रालय ने जो रुख अपनाया है, वह न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि जल संसाधन प्रबंधन में भी एक बड़ी क्रांतिकारी पहल होगी। अब वह पानी, जो हरिके बैराज से होकर पाकिस्तान की ओर जाया करता था, अगले वर्ष से राजस्थान को मिलने लगेगा। यह परिवर्तन न सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि होगी।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद के केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाया है। जल संसाधन विभाग ने अपनी अधूरी परियोजनाओं को गति देने का निर्णय लिया है, जिसमें राजस्थान फीडर और इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अधूरे कार्यों को प्राथमिकता दी गई है।
पंजाब के हरिके बैराज से निकलने वाला अतिरिक्त पानी अब पाकिस्तान की बजाय राजस्थान की धरती को जीवनदायिनी ऊर्जा देगा। कुल 6500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी राजस्थान को मिलने की योजना है। इसे दो चरणों में इसे लागू किया जाएगा। पहला चरण जुलाई 2026 से शुरू होगा और 3500 क्यूसेक पानी इंदिरा गांधी नहर में प्रवाहित किया जाएगा। वहीं दूसरा चरण इसके दो वर्षों के अंदर बाकी के 3000 क्यूसेक पानी की आपूर्ति पूरी की जाएगी।
राजस्थान फीडर और नहर सुदृढ़ीकरण कार्य की स्थिति वर्षों से अधूरी पड़ी हुई है, नहर प्रणाली की मरम्मत और पुनरुद्धार कार्य अब तेज गति से हो रही है। राजस्थान फीडर (पंजाब हिस्से में) कुल 150 किलोमीटर में से पहले फेज में 97 किलोमीटर को सुधारा जा चुका है। अब केवल 15.37 किलोमीटर का कार्य शेष है।बाकी 53 किलोमीटर के लिए डीपीआर बन रही है और 5 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। हरियाणा में राजस्थान फीडर के 18 किलोमीटर हिस्से का कार्य पूरा हो चुका है। इंदिरा गांधी नहर 179.53 किलोमीटर में से केवल 2.62 किमी का कार्य शेष है। इसे 20 मई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 2498 किलोमीटर लंबी इस प्रणाली में अब केवल 1.22 किमी का सुदृढ़ीकरण कार्य बाकी है।
इंदिरा गांधी नहर पर बने 8 ब्रिजों के पुनरुद्धार का कार्य 55 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट के तहत कुल 5040 पंप लगाए जाने हैं, जिसमें से 1000 पंप लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है। शेष पर भी शीघ्र कार्य शुरू होगा। पानी रिसाव की समस्या का समाधान के लिए रिसाव रोकने के लिए 8 बड़े कार्यों में से 5 कार्यों की शुरुआत हो चुकी है। इस पर कुल 114 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इंदिरा गांधी नहर की कुल क्षमता 18500 क्यूसेक है, लेकिन वर्तमान में केवल 12,000 क्यूसेक पानी ही राजस्थान तक पहुँच पाता है। कारण है फीडरों की जर्जर स्थिति और रिसाव। अब जब नहरों और फीडरों का सुदृढ़ीकरण लगभग पूरा हो चुका है, तब वह पानी जो पाकिस्तान जा रहा था, अब भारत के अपने भूभाग में उपयोग हो सकेगा।
राजस्थान के 13 जिलों को जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर, सीकर, चुरू, झुंझुनूं, नागौर, डीडवाना-कुचामन, बालोतरा और पाली (संभावित विस्तार) इन जिलों में लाखों लोगों को पेयजल मिलेगा और हजारों हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई संभव हो सकेगी।
अतिरिक्त पानी की उपलब्धता से राजस्थान की कृषि को एक नई ऊर्जा मिलेगी। अब तक जो क्षेत्र बारानी खेती पर निर्भर थे, वहां सिंचाई का विस्तार होगा। इससे न केवल पैदावार बढ़ेगी, बल्कि किसान आत्मनिर्भर और सशक्त होंगे। जल संसाधन का यह पुनर्वितरण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करेगा।
भारत-पाक जल संधि के अंतर्गत भारत को अपने हिस्से के जल का प्रयोग करने का पूरा अधिकार है। यदि भारत अपनी नहर प्रणाली को मजबूत करके अधिक से अधिक पानी अपने उपभोग में लाता है, तो यह कूटनीतिक दृष्टि से भी एक मजबूत संकेत है।
राजस्थान फीडर और इंदिरा गांधी कैनाल के सुदृढ़ीकरण का कार्य पिछले 6-7 वर्षों से जारी था, लेकिन अब जो तेजी आई है वह अभूतपूर्व है। राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक तत्परता का अद्भुत उदाहरण है यह परियोजना। जो कार्य दशकों से लंबित थे, अब वे महीनों में पूरे हो रहे हैं।
राजस्थान, जो लंबे समय से जल संकट से जूझ रहा है, अब जल समृद्धि की ओर अग्रसर है। इंदिरा गांधी नहर और राजस्थान फीडर की मरम्मत न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी है। पाकिस्तान को जाने वाला पानी अब भारत के अपने नागरिकों को मिलेगा और भारत की आत्मनिर्भर की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
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