केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) को अधिसूचित किया है। इन फॉर्म्स में किए गए प्रमुख बदलावों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की रिपोर्टिंग की सुविधा शामिल है, जो पहले इन फॉर्म्स में उपलब्ध नहीं थी।
ITR-1 (सहज) में बदलाव
अब ITR-1 फॉर्म का उपयोग वे निवासी व्यक्ति कर सकते हैं जिनकी कुल आय ₹50 लाख तक है और जिनकी आय में वेतन, एक आवासीय संपत्ति, अन्य स्रोतों (जैसे ब्याज) और धारा 112A के तहत ₹1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन शामिल है। पहले, यदि किसी करदाता की आय में कोई भी कैपिटल गेन शामिल होता था, तो उन्हें ITR-2 फॉर्म का उपयोग करना पड़ता था।
ITR-4 (सुगम) में बदलाव
ITR-4 फॉर्म अब उन व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) और फर्मों (एलएलपी को छोड़कर) के लिए उपलब्ध है जिनकी कुल आय ₹50 लाख तक है और जिनकी आय व्यवसाय या पेशे से है, जो धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत अनुमानित आय के रूप में गणना की जाती है। इसके अलावा, यदि उनके पास धारा 112A के तहत ₹1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन है, तो वे भी इस फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
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नए कर व्यवस्था से बाहर निकलने की घोषणा: यदि किसी करदाता ने आकलन वर्ष 2024-25 में नई कर व्यवस्था से बाहर निकलने का विकल्प चुना है, तो उन्हें यह घोषणा करनी होगी कि वे इस निर्णय को जारी रखना चाहते हैं या नहीं। यदि वे पहली बार आकलन वर्ष 2025-26 में बाहर निकलने का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें फॉर्म 10-IEA की पावती विवरण प्रदान करनी होगी।
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धारा 80C से 80U तक की कटौतियों का चयन: अब करदाता इन कटौतियों का चयन ई-फाइलिंग सुविधा में ड्रॉप-डाउन मेनू से कर सकते हैं और संबंधित धाराओं और उपधाराओं का खुलासा करना आवश्यक होगा।
किन्हें ITR-1 और ITR-4 का उपयोग नहीं करना चाहिए?
निम्नलिखित करदाता ITR-1 और ITR-4 फॉर्म का उपयोग नहीं कर सकते:
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जो किसी कंपनी में निदेशक हैं।
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जिन्होंने सूचीबद्ध नहीं की गई इक्विटी शेयरों में निवेश किया है।
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जिनकी कृषि आय ₹5,000 से अधिक है।
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जिनकी आय में हाउस प्रॉपर्टी की बिक्री से उत्पन्न पूंजीगत लाभ शामिल है।
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जिनकी आय में सूचीबद्ध इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से उत्पन्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन शामिल है।
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जिनकी आय में भारत के बाहर स्थित संपत्तियाँ (किसी भी इकाई में वित्तीय हित सहित) शामिल हैं।
इन बदलावों के साथ, करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अधिक सरल और सुविधाजनक हो गया है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनकी आय में सीमित मात्रा में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन शामिल है। यह कदम सरकार की कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और करदाताओं के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।