झारखंड सरकार के एक बड़े फैसले ने राज्य के लगभग 12,000 शिक्षकों को चिंता में डाल दिया है। वित्त विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन शिक्षकों को पिछले वर्षों में नियमों के खिलाफ वेतन वृद्धि (बंचिंग लाभ) दी गई थी, जिसे अब वापस लिया जाएगा। इसका मतलब है कि इन शिक्षकों के वेतन में हर महीने कटौती होगी और पिछले वर्षों में मिले अतिरिक्त वेतन की वसूली भी हो सकती है।
क्या है ‘बंचिंग’ और क्यों बना यह मुद्दा?
‘बंचिंग’ का मतलब होता है जब दो कर्मचारियों का वेतन अंतर बहुत कम रह जाता है, तो जूनियर कर्मचारी को अतिरिक्त इंक्रीमेंट देकर असमानता को दूर किया जाता है। लेकिन वित्त विभाग के अनुसार, झारखंड में 1 जनवरी 2006 से पहले नियुक्त शिक्षकों को यह लाभ गलत तरीके से दे दिया गया।
अब विभाग ने स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को निर्देश दिया है कि इस लाभ को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए और जिन शिक्षकों को गलत तरीके से यह लाभ मिला है, उनसे राशि की वसूली की जाए।
शिक्षकों में आक्रोश, आंदोलन की तैयारी
इस आदेश के बाद शिक्षकों में भारी असंतोष है। उनका कहना है कि:
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वेतन निर्धारण विभाग की मंजूरी और प्रक्रिया से हुआ था, तो अब गलती की सजा हमें क्यों दी जा रही है?
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15-20 साल तक किसी ने कुछ नहीं कहा, अब जब महंगाई चरम पर है और नया वेतनमान आने की उम्मीद है, तब यह फैसला क्यों?
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यह आदेश न केवल मानसिक तनाव का कारण बन रहा है, बल्कि परिवार चलाना भी मुश्किल कर देगा।
पूर्वी सिंहभूम जिले के 700 शिक्षकों का मार्च का वेतन इसी विवाद के कारण रोक दिया गया है, जिससे हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं।
सरकार से पुनर्विचार की मांग
राज्य भर के शिक्षक संगठनों ने सरकार से अपील की है कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे। उनका कहना है कि पुराने मामलों को इतनी देर से उठाना शिक्षकों के साथ अन्याय है।
निष्कर्ष
शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले शिक्षक अगर खुद असुरक्षित महसूस करेंगे, तो इसका असर पूरे शैक्षणिक ढांचे पर पड़ेगा। यह फैसला प्रशासनिक दृष्टिकोण से भले ही सही हो, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से इसकी समीक्षा जरूरी है। सरकार को चाहिए कि वह संवेदनशीलता के साथ इस मुद्दे को हल करे, ताकि शिक्षक अपने कार्य में मनोयोग से लगे रहें।