बचपन को हमेशा मिठास से जोड़ा गया है, टॉफी, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स और मिठाई, हर बच्चे की पहली पसंद होती है। लेकिन आज यही मिठास धीरे-धीरे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। बच्चों में डायबिटीज, मोटापा और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों की बढ़ती घटनाओं को देखकर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम उठाया है। बोर्ड ने स्कूलों में "शुगर बोर्ड" लगाने का निर्देश दिया है, ताकि बच्चों को चीनी के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जा सके।
CBSE ने अपने अधीनस्थ सभी स्कूलों को निर्देशित किया है कि वे स्कूल कैंपस में शुगर बोर्ड लगायें। इस बोर्ड पर यह बताया जाएगा कि एक दिन में किसी बच्चे को कितनी मात्रा में चीनी लेनी चाहिए, और अधिक सेवन से क्या खतरा हो सकता हैं। साथ ही, यह भी जानकारी दिया जायेगा कि किन खाद्य पदार्थों में छिपी हुई चीनी होती है।
डायबिटीज जैसे रोग केवल वयस्कों तक सीमित नहीं हैं , बल्कि अब यह बच्चों को भी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। इसका बड़ा कारण है स्कूलों में उपलब्ध कोल्ड ड्रिंक्स और मिठे जूस, पैकेज्ड स्नैक्स और प्रोसेस्ड फूड, चॉकलेट, कुकीज और कैंडीज। इन खाद्य पदार्थों में छिपी हुई चीनी की मात्रा अत्यधिक होती है, जो न केवल ब्लड शुगर लेवल बढ़ाता है, बल्कि बच्चों में मोटापा, दाँतों की समस्याएं, और थकावट जैसे लक्षणों को जन्म देता है।
शुगर बोर्ड एक सूचना पट्ट होगा, जिसमें प्रतिदिन सुरक्षित चीनी सेवन की मात्रा (4-6 चम्मच या 25 ग्राम से कम), प्राकृतिक और कृत्रिम चीनी के अंतर, छिपी हुई चीनी के स्रोत – जैसे फ्लेवरयुक्त दही, सॉस, ड्रिंक्स आदि, चीनी के अधिक सेवन से स्वास्थ्य पर असर- मोटापा, डायबिटीज, थकान, एकाग्रता में कमी आदि और वैकल्पिक हेल्दी विकल्प- फल, सूखे मेवे, गुड़ आदि की जानकारियाँ दी जायेगी। यह बोर्ड बच्चों को सरल भाषा में और चित्रों के माध्यम से जानकारी देगा, जिससे वे अपने खानपान को लेकर सजग हो सकें।
CBSE ने यह भी निर्देश दिया है कि 15 जुलाई से पहले सभी संबद्ध स्कूल शुगर बोर्ड की स्थापना कर उसकी एक संक्षिप्त रिपोर्ट और कुछ तस्वीरें CBSE के पोर्टल पर अपलोड करें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्कूल इस अभियान को गंभीरता से लें और ईमानदारी से लागू करें। इसके अतिरिक्त, भविष्य में CBSE द्वारा ऑडिट और मूल्यांकन भी किया जा सकता है कि कितने स्कूलों ने बच्चों में शुगर जागरूकता फैलाने के लिए अन्य गतिविधियाँ जैसे वर्कशॉप, सेमिनार या प्रतियोगिताएँ आयोजित कीं।
CBSE की यह पहल भले ही एक बोर्ड तक सीमित लगे, लेकिन यह स्वस्थ बचपन की ओर एक ठोस कदम है। बच्चों को मीठे के आकर्षण से निकाल कर हेल्दी विकल्पों की ओर ले जाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। यह शुगर बोर्ड सिर्फ एक सूचना माध्यम नहीं, बल्कि चेतावनी का घंटी है, जो आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ, जागरूक और जिम्मेदार बनाएगा।