केरल की धरती पर इनोवेशन और लगन ने जन्म दिया है एक ऐसे रोबोट को, जो किसानों की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है “नारियल तोड़ना”, को बेहद आसान बना रहा है। कोझीकोड के अशिन पी. कृष्णा और उनकी टीम ने मिलकर "कोको-बॉट" नाम का यह अनोखा रोबोट तैयार किया है, जो अब नारियल किसानों के लिए वरदान बन चुका है।
नारियल की खेती में सबसे बड़ी परेशानी होती है ऊँचे-ऊँचे पेड़ों पर चढ़कर नारियल तोड़ना। यह काम न सिर्फ बेहद मुश्किल है, बल्कि जानलेवा भी हो सकता है। बहुत से किसान और मज़दूर पेड़ से गिरने की घटनाओं में घायल होते हैं। अशिन पी. कृष्णा ने इसी समस्या को हल करने के लिए रोबोट को विकसित किया है, जिससे यह कार्य न केवल आसान हो गया है, बल्कि सुरक्षित भी।
"कोको-बॉट" एक छोटा, हल्का (10 किलो से भी कम वजन का) और तकनीकी रूप से उन्नत रोबोट है, जो आसानी से नारियल के पेड़ों पर चढ़ सकता है और नारियल को तोड़ सकता है। इसमें एक मोटराइज्ड क्लाइंबिंग सिस्टम और कटिंग टूल लगा होता है। यह रोबोट रिमोट कंट्रोल से संचालित होता है, जिससे किसान जमीन पर रहकर ही नारियल तोड़ने का काम कर सकता हैं।
अशिन पी. कृष्णा ने कॉलेज की पढ़ाई के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और पढ़ाई के दौरान ही इस रोबोट का आइडिया उनके मन में आया। उन्होंने इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार किया और फिर इसे केरल सरकार के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित वैगा एग्री हैकाथॉन में प्रस्तुत किया। यहां कोको-बॉट ने खूब तारीफें बटोरी और देखते ही देखते इसकी चर्चा नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डवलपमेंट (NABARD) तक जा पहुंची। फिर उन्हें फंडिंग और तकनीकी सहायता मिली, जिससे यह प्रोजेक्ट हकीकत में बदल गया।
इस तकनीक के कारण किसानों को पेड़ पर चढ़ने की जरूरत नहीं होगी, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा कम होगा। रोबोट बहुत तेजी से पेड़ पर चढ़ता है और नारियल तोड़ता है, इससे समय की बचत होगी, पेड़ पर चढ़ने वाले मजदूरों की कमी को देखते हुए यह एक सस्ता और लॉन्ग-टर्म समाधान है। ज्यादा पेड़ों से कम समय में नारियल तोड़ पाना संभव होता है।
अब अशिन पी. कृष्णा और उनकी टीम इस तकनीक को और अधिक किसानों तक पहुंचाने की योजना बना रहा है। वह इसे और उन्नत बनाकर बाजार में बड़े पैमाने पर उतारना चाहता हैं। कोको-बॉट सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि वह एक बदलाव है जो भारत के कृषि क्षेत्र को नई दिशा दे रहा है।