भारत की सुरक्षा रणनीति को और अधिक संगठित और प्रभावशाली बनाने की दिशा में केन्द्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। 27 मई 2025 से केन्द्र सरकार ने "अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण, अनुशासन) अधिनियम 2023" के तहत तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए एकीकृत सैन्य कमान के नियम अधिसूचित कर दिया हैं। यह निर्णय देश की सैन्य दक्षता, कार्रवाई में तेजी और संयुक्तता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला साबित हो सकता है।
यह अधिनियम तीनों सेनाओं के बीच आपसी समन्वय और संयुक्त ऑपरेशनों को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए बनाया गया है। इसके अंतर्गत अब एक ही कमांडर के अधीन विभिन्न सेनाओं की यूनिट्स काम कर सकेगा। इसकी मुख्य विशेषताएं होगी एकीकृत कमांड संरचना, कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड की नियुक्ति, सैनिकों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक नियंत्रण तथा समय की बचत और निर्णय प्रक्रिया में तेजी।
अब तक भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना अलग-अलग कमांड स्ट्रक्चर के तहत कार्य करती थीं। जब संयुक्त ऑपरेशन की बात आती थी, तो कई बार समन्वय की कमी और आदेशों के विलंब से प्रभावशीलता पर असर पड़ता था। एकीकृत सैन्य कमान की जरूरत महसूस की जा रही थी, ताकि सीमाओं पर संयुक्त ऑपरेशनों की जरूरत, हाइब्रिड युद्ध और साइबर चुनौतियों का मुकाबला, संसाधनों का समुचित उपयोग और कम समय में प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता एकीकृत हो सके।
नए नियमों के अनुसार, एक अंतर-सेवा संगठन के अंतर्गत एक कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड की नियुक्ति की जाएगी। यह अधिकारी सभी शामिल सैन्य कर्मियों पर नियंत्रण रखेगा। उसके अधीन अधिकार होगा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई करना, प्रशासनिक निर्णय लेना, ऑपरेशनल दिशा-निर्देश जारी करना और किसी भी एक सेवा की सीमा से बाहर जाकर कार्रवाई को निर्देशित करना।
इस व्यवस्था से भारत को कई सामरिक और रणनीतिक लाभ होंगे। ऑपरेशन की रफ्तार और प्रभावशीलता बढ़ेगी, सैन्य संसाधनों का संयुक्त प्रयोग संभव होगा, आतंकवाद और सीमापार घुसपैठ जैसे खतरे पर तेज जवाब दे सकेगा और युद्ध की स्थिति में सामूहिक प्रतिक्रिया की क्षमता में वृद्धि होगी। एकीकृत सैन्य कमान के लिए अधिसूचित नियम न केवल भारत की सैन्य संरचना को आधुनिक बनाएंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य नीति को भी मजबूती देगा।