तेलंगाना के बीमार बुजुर्ग दंपती अपने मुकदमे का निर्णय सुनने कोर्ट रूम में हाजिर नहीं हो सकी, तो मजिस्ट्रेट ने संवेदनशीलता दिखाते हुए अदालत से बाहर आकर, सड़क पर अपना फैसला सुनाया।
सूत्रों के अनुसार, बुजुर्ग कांतापु नादपी गंगाराम और उनकी पत्नी कांतापु स्याम्मा के खिलाफ 2021 में बहू के उत्पीड़न के मामले में चालान पेश किया गया था। करीब 30 तारीखें पड़ने के बाद, मजिस्ट्रेट शिवा की कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हादसे के कारण दंपती कोर्टरूम नहीं आ सकी तो मजिस्ट्रेट शिवा केस की फाइल लेकर स्टाफ के साथ सड़क पर आकर उन्हें बहू के उत्पीड़न के केस से बरी कर दिया।
दो साल पहले सिविल जज बने शिवा ने 2023 में ही सिविल जज की परीक्षा पास की थी। सिविल जज बनने के बाद उन्होंने कहा था कि मैंने पीड़ित और आरोपी व्यक्ति के बीच खड़े होकर न्यायाधीश की भूमिका चुनी है। मैं पीड़ितों को न्याय दिलाने के अलावा, मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं।
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