22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है।
इस स्थिति को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 5 मई को एक आपातकालीन बंद-द्वार बैठक आयोजित की, जिसमें दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव पर चर्चा की गई। पाकिस्तान ने इस बैठक की मांग की थी, यह दावा करते हुए कि भारत की ओर से संभावित सैन्य कार्रवाई की आशंका है।
बैठक के बाद, संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार ने कहा कि पाकिस्तान का उद्देश्य दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाना था, जो इस बैठक के माध्यम से पूरा हुआ।
भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंधों को सीमित कर दिया है, जिसमें पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करना, सीमाओं को बंद करना, और 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को निलंबित करना शामिल है।
पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए भारत पर संघर्ष विराम उल्लंघन और आक्रामक कार्रवाई का आरोप लगाया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ मिसाइल परीक्षण किए हैं, जिससे क्षेत्र में सैन्य तनाव और बढ़ गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है, यह कहते हुए कि वर्तमान स्थिति "उबाल बिंदु" पर पहुंच गई है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने भी इस संकट के समाधान के लिए मध्यस्थता की पेशकश की है, और उन्होंने पाकिस्तान का दौरा किया है, इसके बाद वे भारत का दौरा करने की योजना बना रहे हैं।
इस बीच, कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया है, जिसमें सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया है और कई संदिग्ध आतंकवादियों के घरों को ध्वस्त किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दोनों देशों ने संयम नहीं बरता, तो यह स्थिति 2019 की तरह एक और सैन्य संघर्ष में बदल सकती है, जब पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब भारत और पाकिस्तान पर टिकी हैं, यह देखने के लिए कि क्या वे इस संकट को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा सकते हैं या नहीं।