वाशिंगटन – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को लेकर बयान दिया है। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई सीजफायर सहमति का हवाला देते हुए कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है और इससे यह विवाद भी हल हो सकता है।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों पड़ोसी देशों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर शांति बनाए रखने का निर्णय लिया है। ट्रंप ने इस घटनाक्रम को 'महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रगति' बताया और कहा कि यह दर्शाता है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को भी सुलझाया जा सकता है।
गौरतलब है कि ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की थी। हालांकि भारत सरकार ने उस समय साफ कर दिया था कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं हो सकती।
ट्रंप ने कहा, “जब मैं राष्ट्रपति था, मैंने इस मसले को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दोनों से बात की थी। मैं मानता हूं कि यह मुद्दा अब भी हल हो सकता है, खासकर जब दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई है।”
भारत का रुख
भारत हमेशा यह स्पष्ट करता रहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही संभव है, बशर्ते पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने भी सीजफायर को एक 'अच्छा कदम' बताया है और भारत के साथ शांतिपूर्ण संवाद के संकेत दिए हैं। हालांकि कश्मीर को लेकर उसकी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं दिखा है।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिया गया यह ताजा बयान एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भारत-पाक संबंधों और कश्मीर विवाद की ओर खींचता है। हालांकि भारत अपनी नीति पर अडिग है कि किसी भी मुद्दे का हल सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत से ही निकलेगा, न कि किसी बाहरी हस्तक्षेप से।