पहलगाम आतंकी हमला से लेकर संघर्षविराम तक: भारत-पाकिस्तान के बीच 18 दिनों की दहकती दास्तान

Jitendra Kumar Sinha
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2025 का अप्रैल महीना जब अपने समापन की ओर बढ़ रहा था, तभी एक घटना ने समूचे दक्षिण एशिया को हिला कर रख दिया।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए एक बर्बर आतंकी हमले ने केवल 26 निर्दोष लोगों की जान ही नहीं ली, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर संघर्ष की चिंगारी को हवा दे दी।

इस हमले की गूंज दिल्ली से लेकर वाशिंगटन तक सुनाई दी। फिर शुरू हुआ घटनाओं का सिलसिला—धारदार बयानबाज़ी, सख़्त फैसले, सैन्य कार्रवाई, और अंततः एक नाज़ुक संघर्षविराम।



22 अप्रैल: खूनी सोमवार – पहलगाम की घाटी में लहू की नदी

सोमवार की सुबह पहलगाम में ठीक वैसी ही थी जैसी अप्रैल में होती है – बादलों की हल्की चादर, पर्यटकों की भीड़, और मंदिरों की घंटियों की गूंज।
पर दोपहर होते-होते, यह शांत घाटी हथियारों की गूंज, चीखों और गोलियों की बौछार से दहल उठी।

तीन heavily armed आतंकवादियों ने उस वक़्त हमला किया जब एक दर्जन से अधिक हिंदू तीर्थयात्री लिद्दर नदी के तट पर पूजा कर रहे थे।
बिना किसी चेतावनी के शुरू हुई फायरिंग में 26 लोगों की मौत हो गई—इनमें 9 महिलाएं और 2 बच्चे भी शामिल थे।

हमले की जिम्मेदारी एक नया नाम लिए संगठन 'कश्मीर रेजिस्टेंस' ने ली, जिसकी जड़ें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से जुड़ी बताई जा रही हैं।



23 अप्रैल: भारत की तीखी प्रतिक्रिया – राजनयिक तूफ़ान

हमले के अगले ही दिन दिल्ली में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा तत्काल रद्द कर दी और सेना को "पूरी स्वतंत्रता" देने की घोषणा की।

भारत ने ताबड़तोड़ फैसले लिए:

  • पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब किया गया।

  • सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार के संकेत दिए गए।

  • वीज़ा सेवाएं निलंबित कर दी गईं।

  • LOC पर सेना को अलर्ट मोड में रखा गया।

राष्ट्रीय टीवी पर दिए गए संबोधन में प्रधानमंत्री ने साफ कहा:
"यह खून व्यर्थ नहीं जाएगा। जो जिम्मेदार हैं, उन्हें दोगुना कीमत चुकानी होगी।"



7 मई: ऑपरेशन 'सिंदूर' – भारतीय सेना का जवाब

लगभग दो सप्ताह की रणनीति, खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट डेटा के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया
इस विशेष अभियान का उद्देश्य पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पंजाब प्रांत में स्थित आतंकवादी शिविरों को नेस्तनाबूद करना था।

  • IAF ने रात के अंधेरे में 12 जगहों पर सर्जिकल स्ट्राइक की।

  • स्पेशल फोर्सेस ने LOC पार जाकर ग्राउंड मिशन को अंजाम दिया।

  • आतंकियों की भारी संख्या में मौत की खबरें सामने आईं।

इस कार्रवाई ने भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत रणनीतिक धार दी, लेकिन इसके साथ ही एक और सवाल उठ खड़ा हुआ—अब पाकिस्तान क्या करेगा?



8-9 मई: जवाबी हमले – पाकिस्तान की बौखलाहट

जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर की तस्वीरें वायरल हुईं, पाकिस्तान सेना ने प्रतिशोध की मुद्रा अपनाई

  • स्वार्म ड्रोनों से जम्मू और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों पर हमले किए गए।

  • पाकिस्तानी रेंजर्स ने LOC पर मोर्टार फायरिंग बढ़ा दी।

  • लाहौर एयरबेस पर भारतीय वायुसेना ने बड़ी कार्यवाही की जिसमें कई F-16 विमानों को नष्ट करने की बात सामने आई।

एक समय ऐसा लगा कि हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं और परमाणु शक्तियां आमने-सामने आ गई हैं। अमेरिका, रूस और संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत मध्यस्थता की पेशकश की।



10 मई: संघर्षविराम – लेकिन भरोसे की डोर कमज़ोर

लगातार बढ़ते दबाव और वैश्विक अपील के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनी।
यह निर्णय हालांकि स्वागत योग्य था, लेकिन ** LOC पर संघर्षविराम उल्लंघन की खबरें** कुछ ही घंटों में आने लगीं।

भारत ने कहा: पाकिस्तान संघर्षविराम को ढाल बनाकर आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश कर रहा है।
पाकिस्तान का आरोप: भारत ने पहले संघर्षविराम का उल्लंघन किया।

यानि काग़ज़ पर भले ही युद्ध थमा हो, लेकिन दिलों में और ज़मीनी स्तर पर जंग अब भी बाकी है।



सवाल कई, समाधान अब भी अधूरा

भारत और पाकिस्तान के बीच यह 18 दिन एक बार फिर ये साबित करते हैं कि सीमा पर शांति सिर्फ़ एक दस्तावेज़ का विषय नहीं—यह दोनों देशों के राजनीतिक इरादों और ज़मीन पर फैसलों से जुड़ा मसला है।

  • क्या आतंक के खिलाफ मिलकर खड़े हो पाएंगे दोनों देश?

  • क्या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कोई स्थायी समाधान दे पाएगी?

  • या फिर एक और संघर्षविराम सिर्फ़ अगली जंग की प्रतीक्षा है?

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