कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अनुमानित सीमा से अधिक बिजली लेने पर उपभोक्ताओं से, दंड के रूप में दोगुनी राशि वसूली को, मनमाना और समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन करार दिया है।
उच्च न्यायालय ने इस वसूली से संबंधित पश्चिम बंगाल विद्युत विनियामक आयोग (शुल्क की शर्ते एव नियम) विनियम, 2011 के विनियमन 4.4 को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य ने अपने फैसले में कहा है कि उक्त प्रावधान लाइसेंसधारी बिजली कंपनी को, उपभोक्ता को बिना कोई कारण बताए और बिना उचित नोटिस दिए, गलत तरीके से निकासी सीमा तय करने और वसूली का अधिकार देता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि इससे बिजली ग्रिड पर बोझ की चिंता का निवारण नहीं होता है।
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