भारत में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का धोखा

Jitendra Kumar Sinha
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स्वास्थ्य बीमा का मकसद होता है कि कोई भी व्यक्ति बीमार पड़ने पर अपने और परिवार के आर्थिक बोझ से बच सके। लेकिन हमारे देश भारत में कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ इस भरोसे का दुरुपयोग कर रही हैं। ये कंपनियाँ सिर्फ मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों के साथ धोखा करती हैं और उनकी वित्तीय सुरक्षा को खतरे में डाल देती हैं।


हेल्थ इंश्योरेंस धोखाधड़ी कैसे होती है?

सबसे पहले तो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के जटिल और लंबी-लंबी शर्तों (टर्म्स एंड कंडीशन्स) के कारण आम आदमी को समझने में दिक्कत होती है। कंपनियाँ जान-बूझकर ऐसी भाषा में दस्तावेज बनाती हैं जो आम ग्राहक के लिए अस्पष्ट और भ्रमित करने वाली होती है। इसके कुछ आम रूप हैं:

  • क्लेम अस्वीकारना: जब बीमार व्यक्ति इलाज के बाद क्लेम करता है, तो कंपनियाँ छोटे-छोटे बहानों जैसे प्री-एक्जिस्टिंग कंडीशन, डॉक्युमेंट्स में कमी, या पॉलीसी की कुछ शर्तें पूरी न होने का हवाला देकर क्लेम से इनकार कर देती हैं।

  • छुपे हुए चार्ज: कई बार पॉलिसी में अतिरिक्त फीस या कटौतियाँ छुपी होती हैं, जिनके बारे में ग्राहकों को जानकारी नहीं दी जाती।

  • फालतू पॉलिसी बेचने का दबाव: बिना सही जरूरत के महंगी पॉलिसी बेची जाती हैं, जो ग्राहक के लिए बोझ बन जाती हैं।

  • इन्क्लेम प्रोसेस में देरी: क्लेम प्रोसेस जानबूझकर लम्बा खींचा जाता है, जिससे मरीज को तत्काल राहत नहीं मिल पाती।


कारण: क्यों होती है ये धोखाधड़ी?

  • लाभप्रदता पर फोकस: हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का मकसद बीमार लोगों की सेवा नहीं, बल्कि ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम इकट्ठा करना और क्लेम भुगतान को कम से कम करना होता है।

  • कम जागरूकता: हमारे देश में अधिकांश लोग हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते। ये कमी कंपनियों के लिए अच्छा मौका बन जाती है।

  • कम सख्त नियम: सरकार और नियामक संस्थाएँ इस क्षेत्र में सख्ती से कार्रवाई करने में नाकाम रहती हैं, जिससे कंपनियाँ खुलकर मनमानी कर पाती हैं।


इस धोखाधड़ी से बचने के उपाय

  1. पूरी पॉलिसी पढ़ें: खरीदते समय पॉलिसी के सभी नियमों को ध्यान से समझें, खासकर ‘एक्सक्लूज़न’ और ‘क्लेम प्रोसेस’।

  2. सीधे कंपनी से संपर्क करें: एजेंट के बजाय खुद कंपनी से जानकारी लें, ताकि फालतू या गलत सलाह न मिलें।

  3. ग्राहक शिकायत मंच का उपयोग करें: अगर क्लेम में कोई दिक्कत हो, तो IRDAI (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) और उपभोक्ता अदालत का सहारा लें।

  4. ऑनलाइन रिव्यू पढ़ें: किसी कंपनी की विश्वसनीयता जांचने के लिए ग्राहक रिव्यू और फीडबैक देखें।

  5. स्वास्थ्य बीमा विशेषज्ञ की सलाह लें: जरूरत के अनुसार सही योजना का चुनाव विशेषज्ञ से करवाएं।


हेल्थ इंश्योरेंस हमारे देश में आर्थिक सुरक्षा का अहम हिस्सा है, लेकिन इसे लेकर बढ़ती धोखाधड़ी ने इसे कई लोगों के लिए बोझ बना दिया है। पुराने जमाने की सोच से काम लेते हुए, हमें सतर्क रहना होगा, सूझ-बूझ से पॉलिसी खरीदनी होगी और जरूरत पड़ने पर आवाज उठानी होगी। तभी जाकर हम इस सिस्टम को सुधार सकते हैं और अपने आप को, परिवार को इस धोखाधड़ी से बचा सकते हैं।

याद रखिए, हेल्थ इंश्योरेंस का मकसद इंसान की मदद करना है, मुनाफा कमाना नहीं। इसे ऐसे ही रहने दें!

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