बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो 23 अप्रैल को गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान की हिरासत में चले गए थे, को 14 मई की सुबह 10:30 बजे अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत को सौंप दिया गया। यह प्रत्यर्पण शांतिपूर्ण ढंग से और निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत संपन्न हुआ।
पूर्णम कुमार शॉ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के निवासी हैं। उनकी पत्नी, रजनी शॉ, जो गर्भवती हैं, ने अपने पति की रिहाई के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए। उन्होंने बीएसएफ के कमांडिंग ऑफिसर से मुलाकात की और सरकार से अपने पति की सुरक्षित वापसी की अपील की। भारत सरकार ने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से पाकिस्तान पर दबाव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप शॉ की रिहाई संभव हो सकी।
इस घटना ने भारत की कूटनीतिक ताकत और अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। पूर्णम कुमार शॉ की सुरक्षित वापसी से उनके परिवार और देशवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करता है और कूटनीतिक स्तर पर भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करता है।