हाल ही में भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक विशेष कूटनीतिक अभियान को अंजाम देकर न केवल देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को ऊंचा किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि संकट की घड़ी में भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया, जिसमें विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों ने भी एकजुट होकर सहयोग किया।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक विशेष राजनयिक और मानवीय मिशन है, जिसे भारतीय नागरिकों को विदेश से सुरक्षित भारत लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह ऑपरेशन उस समय शुरू किया गया जब एक दक्षिण एशियाई देश में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के कारण भारतीय नागरिकों की जान को खतरा उत्पन्न हो गया था। ऑपरेशन का नाम 'सिंदूर' भारत की सांस्कृतिक परंपरा और नारी शक्ति को समर्पित भाव से चुना गया, जो यह दर्शाता है कि देश अपनी प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की भूमिका
इस ऑपरेशन की एक विशेष बात यह रही कि इसमें भारतीय राजनीति की विविधता भी एकजुट होकर सामने आई। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें कांग्रेस के शशि थरूर, भाजपा के रविशंकर प्रसाद, एनसीपी की सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, डीएमके की कनीमोई करुणानिधि, और जदयू के संजय कुमार झा जैसे नेता शामिल थे, ने एकजुटता का दुर्लभ उदाहरण प्रस्तुत किया।
यह प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न केवल भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्रिय रहा, बल्कि उन्होंने वहां की सरकार से भी सीधा संवाद किया और भारत के पक्ष को मजबूती से रखा।
मोदी सरकार की रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जिस तरह तेजी से निर्णय लिया और विदेश मंत्रालय ने जिस कुशलता से समन्वय किया, वह अत्यंत प्रशंसनीय है। इस ऑपरेशन में सैन्य और नागरिक उड्डयन मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग और विदेश मंत्रालय ने मिलकर कार्य किया। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए भारतीयों को ट्रैक किया गया, और उन्हें एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्वदेश लाया गया।
मानवता की जीत
ऑपरेशन सिंदूर न केवल भारत के कूटनीतिक परिपक्वता का परिचायक है, बल्कि यह मानवता की जीत का प्रतीक भी है। इसने यह साबित किया कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर जब देशहित की बात आती है, तो भारत एकजुट हो सकता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ आज भारतीय विदेश नीति का एक स्वर्णिम अध्याय बन गया है। यह केवल एक रेस्क्यू मिशन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, मानवीय करुणा और राजनीतिक सहमति का उदाहरण है। आने वाले समय में यह ऑपरेशन भविष्य की विदेश नीति रणनीतियों और आपदा प्रबंधन की योजनाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रहेगा।