पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को देश के इतिहास में दूसरी बार फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में 20 मई 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह पदोन्नति ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा है।
'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट किया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। चार दिनों तक चले इस संघर्ष के बाद 10 मई को पाकिस्तान ने सीजफायर की अपील की, जिसे भारत ने स्वीकार किया।
जनरल मुनीर की पदोन्नति को लेकर पाकिस्तान में विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय सेना के भीतर उनकी स्थिति को मजबूत करने और संभावित आंतरिक चुनौतियों से उन्हें संरक्षण देने के उद्देश्य से लिया गया है। वहीं, सोशल मीडिया पर इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे 'पराजय पर पुरस्कार' करार दिया गया है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का पद सर्वोच्च सैन्य रैंक है, जिसे अब तक केवल दो अधिकारियों को प्रदान किया गया है—पहले जनरल अयूब खान को 1959 में और अब जनरल आसिम मुनीर को।
इस पदोन्नति के साथ ही पाकिस्तान सरकार ने एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू के कार्यकाल को भी बढ़ा दिया है, हालांकि इसकी अवधि स्पष्ट नहीं की गई है।
जनरल मुनीर की यह पदोन्नति पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक संरचना में उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह निर्णय पाकिस्तान के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा मामलों पर क्या प्रभाव डालता है।