हाल ही में भारत द्वारा किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद सोशल मीडिया और कुछ विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि पाकिस्तान के सर्गोधा जिले के किराना हिल्स में स्थित परमाणु सुविधाओं पर भारतीय मिसाइलों के हमले से रेडिएशन लीक हुआ है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने इन दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान की किसी भी परमाणु सुविधा से कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ है।
IAEA के प्रवक्ता फ्रेडरिक डाहल ने एक ईमेल में बताया, "हम इन रिपोर्ट्स से अवगत हैं। IAEA के पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पाकिस्तान की किसी भी परमाणु सुविधा से कोई रेडिएशन लीक या रिसाव नहीं हुआ है।"
भारतीय वायु सेना के एयर मार्शल ए.के. भारती ने भी इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "धन्यवाद, आपने हमें बताया कि किराना हिल्स में परमाणु सुविधाएं हैं। हमें इसके बारे में जानकारी नहीं थी। हमने किराना हिल्स या वहां की किसी भी चीज़ को निशाना नहीं बनाया है।"
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने भी इन अफवाहों को नकारते हुए कहा, "हमारा सैन्य अभियान पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र में था। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक होगी, लेकिन बाद में उन्हें भी खारिज कर दिया गया। वास्तव में, पाकिस्तान सरकार के प्रतिनिधियों ने भी इसे आधिकारिक रूप से खारिज किया है।"
इससे पहले, सोशल मीडिया पर यह भी दावा किया गया था कि अमेरिका का एक आपातकालीन विमान और मिस्र का एक सैन्य विमान, जो रेडियोधर्मी उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए बोरॉन ले जा रहा था, पाकिस्तान में देखा गया। हालांकि, इन दावों की कोई पुष्टि नहीं हुई है और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इन्हें निराधार बताया है।
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1988 में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे की परमाणु सुविधाओं पर हमला नहीं करेंगे। इस समझौते के तहत, दोनों देश हर साल 1 जनवरी को एक-दूसरे को अपनी परमाणु सुविधाओं की सूची प्रदान करते हैं।
IAEA और भारतीय अधिकारियों के इन बयानों से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान में किसी भी परमाणु सुविधा से रेडिएशन लीक की कोई घटना नहीं हुई है और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहें निराधार हैं।