पटना एयरपोर्ट: इतिहास, विस्तार और नए टर्मिनल की आवश्यकता

Jitendra Kumar Sinha
0

 



पटना का जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बिहार की राजधानी का प्रमुख हवाई संपर्क केंद्र है। इसकी स्थापना 1973 में हुई थी, और 2008 में इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ। हालांकि, सीमित रनवे और बुनियादी ढांचे के कारण यह बड़े विमानों की लैंडिंग में सक्षम नहीं था। बढ़ती यात्री संख्या और हवाई यात्रा की मांग को देखते हुए, अक्टूबर 2018 में नए टर्मिनल भवन के निर्माण की योजना शुरू की गई।


29 मई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया। 1,200 करोड़ रुपये की लागत से बने इस टर्मिनल का क्षेत्रफल 65,155 वर्ग मीटर है और यह एक साथ 4,500 यात्रियों को संभालने में सक्षम है, जिससे हवाई अड्डे की वार्षिक यात्री क्षमता 25 लाख से बढ़कर एक करोड़ हो गई है।


नए टर्मिनल में 64 चेक-इन काउंटर, 13 बोर्डिंग गेट, 5 कन्वेयर बेल्ट, और आधुनिक सुरक्षा प्रणाली शामिल हैं। इसके अलावा, मल्टी-लेवल पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसमें लगभग 7,450 वाहनों की पार्किंग क्षमता है।


पटना एयरपोर्ट की भौगोलिक स्थिति, संजय गांधी जैविक उद्यान और फुलवारी शरीफ रेलवे स्टेशन के बीच होने के कारण, इसके रनवे की लंबाई सीमित है, जिससे बड़े विमानों की लैंडिंग में कठिनाई होती है। इस समस्या के समाधान के लिए, बिथा एयरफोर्स स्टेशन पर एक नया सिविल एन्क्लेव विकसित किया जा रहा है, जिसकी लागत 1,410 करोड़ रुपये है।


नए टर्मिनल की आंतरिक सजावट में बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी कला और नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों से प्रेरणा ली गई है, जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।


इस नए टर्मिनल के उद्घाटन से पटना एयरपोर्ट की क्षमता और सुविधाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा और बिहार की हवाई संपर्कता में सुधार होगा।


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top