पूसा में बनेगा अंतरराष्ट्रीय गन्ना अनुसंधान केंद्र: गन्ना किसानों के लिए डिजिटल युग की नई शुरुआत

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार के गन्ना किसानों के लिए एक बड़ी सौगात की घोषणा करते हुए राज्य के गन्ना उद्योग मंत्री कृष्ण नंदन पासवान ने मंगलवार को बताया कि पूसा में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का गन्ना शोध संस्थान स्थापित किया जाएगा। यह संस्थान गन्ना अनुसंधान के क्षेत्र में न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश और दुनिया के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा।

गन्ना अनुसंधान को मिलेगा नया आयाम
विकास भवन सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मंत्री ने बताया कि विभागीय स्तर पर इस संस्थान की स्थापना को लेकर तेज़ी से कार्य किया जा रहा है। यह केंद्र आधुनिक तकनीकों, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों और यंत्रों पर शोध करेगा, जिससे गन्ना उत्पादकता में वृद्धि हो और किसानों की आय में इजाफा हो सके।

ऑनलाइन लाइसेंसिंग पोर्टल का शुभारंभ
इस ऐतिहासिक मौके पर मंत्री ने ऑनलाइन लाइसेंसिंग पोर्टल का भी शुभारंभ किया। इस पोर्टल की मदद से अब गन्ना से संबंधित कार्यों के लिए लाइसेंस लेना आसान और पारदर्शी हो गया है। खासतौर पर गुड़ इकाइयों को चलाने के लिए आवश्यक लाइसेंस अब पूरी तरह डिजिटल प्रक्रिया से प्राप्त किए जा सकेंगे। इससे किसानों और उद्यमियों को विभागीय कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

किसानों को मिलेगा खेती से जुड़ा समग्र मार्गदर्शन
गन्ना उद्योग मंत्री ने बताया कि नए मोबाइल एप और पोर्टल के ज़रिए किसानों को गन्ना खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी जाएंगी। मसलन:

  • किस महीने में कौन-सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए

  • गन्ना रोगों से बचाव के लिए उपयुक्त दवाएं

  • लागत घटाने वाले आधुनिक कृषि यंत्र

  • मौसम के अनुसार खाद और सिंचाई प्रबंधन

  • कचरा प्रबंधन की तकनीकें

इस समग्र जानकारी से किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सकेंगे और बेहतर उत्पादन ले पाएंगे।


उच्च गुणवत्ता वाले बीज और यंत्रों पर ज़ोर
मंत्री ने स्पष्ट किया कि विभाग का मुख्य उद्देश्य है किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और आधुनिक यंत्र उपलब्ध कराना। इससे जहां उत्पादन बढ़ेगा, वहीं लागत घटेगी। यह राज्य सरकार के उस लक्ष्य की ओर बड़ा कदम है, जिसके तहत किसानों की आय को दोगुना करने का प्रयास किया जा रहा है।

चीनी मिलों को मिलेगा नया जीवन
राज्य की बंद पड़ी 15 में से 8 चीनी मिलों की संपत्ति को बियाडा (BIADA) को सौंप दिया गया है। अब इन परिसरों में नए उद्योगों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।

कृषि के साथ डिजिटल सशक्तिकरण का मेल
विभागीय सचिव बी. कार्तिकेय धनजी ने कहा कि बिहार सरकार गन्ना उत्पादन और उससे संबंधित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और डिजिटल बनाना इस दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे निवेशकों और किसानों को बिना किसी अड़चन के आवश्यक अनुमतियाँ मिल सकेंगी।

पूसा में प्रस्तावित यह अंतरराष्ट्रीय गन्ना अनुसंधान केंद्र और विभाग की डिजिटल पहलें बिहार के गन्ना किसानों के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलेंगी। यह पहल न केवल बिहार को गन्ना अनुसंधान के वैश्विक मानचित्र पर लाएगी, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और तकनीक-सक्षम बनाने की दिशा में भी एक निर्णायक कदम होगी।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बिहार में गन्ना खेती अब पारंपरिक तरीकों से निकलकर डिजिटल और वैज्ञानिक युग में प्रवेश कर चुकी है।


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