नई दिल्ली: भारत और तुर्किये के संबंधों में एक बार फिर दरार आ गई है। हाल ही में सामने आए एक खुलासे के मुताबिक, तुर्किये ने खुले तौर पर पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए उसे अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक मुहैया कराई है। इससे भारत के साथ उसका तनाव और गहराता दिख रहा है। इसके जवाब में कई भारतीय ट्रैवल कंपनियों ने तुर्किये के टूर पैकेजों की बुकिंग बंद कर दी है, और सोशल मीडिया पर भी तुर्किये के बहिष्कार की मांग ज़ोर पकड़ रही है।
ड्रोन डिप्लोमेसी: तुर्किये की पाकिस्तान को खुली मदद
तुर्किये, जिसने पहले भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का पक्ष लिया था, अब और एक कदम आगे बढ़ गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की सरकार और उसकी रक्षा कंपनियों ने पाकिस्तान को ड्रोन तकनीक उपलब्ध कराई है। इनमें "Bayraktar TB2" जैसे अत्याधुनिक कॉम्बैट ड्रोन शामिल हैं, जिनका उपयोग निगरानी और हमला—दोनों के लिए किया जा सकता है।
यह सहयोग ऐसे समय में सामने आया है जब भारत की सीमाओं पर पाकिस्तान की तरफ से बार-बार उकसावे वाली हरकतें हो रही हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह ड्रोन साझेदारी क्षेत्रीय असंतुलन पैदा कर सकती है और इसका सीधा प्रभाव भारत की सुरक्षा पर पड़ेगा।
सोशल मीडिया पर गुस्सा, पर्यटन क्षेत्र में तुर्किये का बहिष्कार
जैसे ही यह खबर सार्वजनिक हुई, सोशल मीडिया पर "Boycott Turkey" (#BoycottTurkey) ट्रेंड करने लगा। लोगों ने तुर्की सरकार पर भारत विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया और भारत सरकार से सख्त प्रतिक्रिया की मांग की।
इस जनभावना को देखते हुए, कई प्रमुख भारतीय ट्रैवल एजेंसियों ने तुर्किये के लिए पर्यटन बुकिंग पर रोक लगाने का फैसला किया है। कुछ एजेंसियों ने साफ तौर पर कहा है कि वे अब तुर्किये के टूर पैकेज नहीं बेचेंगी, जब तक वह अपने रुख में बदलाव नहीं करता।
तुर्किये की दोहरी नीति और भारत की विदेश नीति
तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन पहले भी संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ बयानबाज़ी कर चुके हैं, विशेषकर कश्मीर मुद्दे को लेकर। हालांकि भारत ने हमेशा संयम और कूटनीति का रास्ता चुना है, लेकिन अब स्थिति बदलती दिख रही है।
भारत ने पहले ही अज़रबैजान और आर्मेनिया के मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाया था, लेकिन अब जब तुर्किये लगातार पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है, तो भारत को भी अपनी विदेश नीति पर पुनः विचार करने की ज़रूरत है।
तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को सैन्य तकनीक मुहैया कराना न केवल भारत की संप्रभुता के खिलाफ है, बल्कि यह दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए भी खतरा है। ऐसे में भारतीय नागरिकों और व्यवसायों का तुर्किये के खिलाफ रुख अपनाना स्वाभाविक है।
सरकार को चाहिए कि वह इस मसले को कूटनीतिक स्तर पर गंभीरता से उठाए और यह सुनिश्चित करे कि भारत की सुरक्षा, आत्मसम्मान और वैश्विक स्थिति को किसी भी रूप में कमजोर न किया जाए।