भारत में रेलवे केवल यात्रा का माध्यम नहीं है, बल्कि जन-जीवन की धड़कन है। रोजाना लाखों यात्री रेलवे स्टेशनों से गुजरते हैं, लेकिन इसके साथ ही स्टेशनों पर भीड़, अव्यवस्था और सुरक्षा के खतरे भी बढ़ता जा रहा हैं। अब इस स्थिति को काबू में लाने के लिए रेलवे ने बड़ा कदम उठाने की योजना बनाई है, "एक्सेस कंट्रोल सिस्टम" (Access Control System)। यह वही सिस्टम है जो मेट्रो स्टेशनों पर देखने को मिलता है, जहां बिना टिकट के प्रवेश नामुमकिन होता है।
एक्सेस कंट्रोल सिस्टम (ACS) एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म है जो केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही परिसर में प्रवेश की अनुमति देता है। इस प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक गेट्स- यात्री को अपने टिकट की स्कैनिंग करनी होगी। टिकट वैध होने पर गेट खुलेगा। फेस रिकॉग्निशन कैमरे- हर व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करने के लिए गेट्स पर उन्नत कैमरे लगाए जाएंगे। प्लेटफॉर्म टिकट पर भी नियंत्रण- सिर्फ टोकन या वैध प्लेटफॉर्म टिकट के आधार पर ही एंट्री संभव होगी। यह प्रणाली स्टेशन पर अनधिकृत लोगों की एंट्री को रोकने में मदद करेगी और यात्रियों को सुरक्षित एवं अनुशासित यात्रा अनुभव देगी।
भारतीय रेलवे स्टेशन अब केवल यात्री स्थल नहीं रह गया हैं, बल्कि अपराधियों, भिखारियों, फेरीवालों और असामाजिक तत्वों की आवाजाही भी बड़ी चुनौती बन चुका है। एक्सेस कंट्रोल सिस्टम इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि बढ़ती भीड़ के कारण सुरक्षा जोखिम, बम धमकी जैसी घटनाओं में वृद्धि, अनधिकृत व्यक्तियों की आवाजाही से यात्री असुरक्षित महसूस करते हैं, सीसीटीवी और बैग स्कैनर के बावजूद गेट पर नियंत्रण की कमी दिखती है। ACS के लागू होते ही इन खामियों पर कड़ा नियंत्रण लगेगा।
उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के अंतर्गत आने वाले प्रमुख और व्यस्त स्टेशनों की सूची तैयार की जा रही है, जिसमें शामिल हो सकता हैं, जयपुर रेलवे स्टेशन, जोधपुर रेलवे स्टेशन,
बीकानेर रेलवे स्टेशन, अजमेर रेलवे स्टेशन, उदयपुर सिटी स्टेशन। इन स्टेशनों पर यात्रियों की संख्या काफी अधिक होती है और सुरक्षा व्यवस्था की मांग भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है।
एक्सेस कंट्रोल सिस्टम के लागू होने के बाद यात्रियों को कागजी टिकट हो या मोबाइल ई-टिकट, दोनों का QR कोड स्कैन करना आवश्यक होगा। यात्रियों को स्टेशन पर समय से पहले पहुंचना होगा, ताकि जांच प्रक्रिया में समय लगे। केवल निर्धारित प्रवेश द्वारों से ही प्लेटफॉर्म पर जाना संभव होगा, इन बदलावों का सामना करना पड़ सकता है। इन सभी उपायों से रेल यात्रा और भी सुरक्षित एवं संरचित हो जाएगी।
ACS से केवल अनधिकृत लोगों की पहचान ही नहीं होगी, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को फेस रिकॉग्निशन से संदिग्धों की पहचान, डाटा रिकॉर्डिंग से ट्रेसिंग में आसानी, सीसीटीवी से निगरानी नेटवर्क मजबूत होगा, बम जैसी धमकियों का तुरंत विश्लेषण संभव होगा, जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इसके अलावा, इस सिस्टम के चलते आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना भी मुश्किल हो जाएगा।
ACS में जो तकनीकें इस्तेमाल होंगी, वह है QR कोड स्कैनर- जिससे टिकट का सत्यापन होगा, फेस रिकॉग्निशन- इससे यात्री की पहचान सुनिश्चित होगी, टर्नस्टाइल गेट्स- इससे अनधिकृत लोगों को रोकने में मदद मिलेगी, स्मार्ट कार्ड- यह प्लेटफॉर्म टिकट के लिए टोकन का विकल्प होगा, बैग स्कैनर- सामान की जांच के लिए होगा। यह तकनीकें पहले से ही एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशनों पर सफलता से उपयोग किया जा रहा हैं।
यात्रियों को इससे शुरुआत में कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन बाद में सिस्टम के अनुरूप यात्रियों की आदत बन जाएगी। रेलवे हेल्प डेस्क और वॉलेंटियर्स की मदद से यह इसे आसान बनाया जाएगा। बुजुर्ग और अनपढ़ यात्रियों लिए विशेष सहायक स्टाफ तैनात किए जाएंगे। आवश्यकतानुसार बायोमेट्रिक विकल्प भी उपलब्ध कराया जा सकता हैं।
रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट और स्टेशन वेंडर्स के लिए भी नए नियम लागू होगा। वेंडर्स को यूनिफॉर्म और डिजिटल ID पहनना अनिवार्य होगा। प्लेटफॉर्म टिकट अब केवल गेट से प्राप्त टोकन के रूप में मिलेगा। वेंडर्स को गेट पास और स्कैनिंग से गुजरना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल अधिकृत कर्मचारी और व्यक्ति ही स्टेशन परिसर में मौजूद रहेंगे।
विदेशों में रेलवे स्टेशनों पर एक्सेस कंट्रोल पहले से लागू है। उदाहरण के तौर पर जापान के हर स्टेशन पर टिकट स्कैनिंग और फेस रिकॉग्निशन सामान्य प्रक्रिया है। फ्रांस के प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए बोर्डिंग पास और टिकट स्कैनिंग जरूरी है। चीन के हाई-स्पीड ट्रेन स्टेशनों पर फुल-बॉडी स्कैन और AI आधारित निगरानी होती है। भारत में इस प्रणाली का कार्यान्वयन इन देशों की तर्ज पर होगा।
रेलवे बोर्ड को एक्सेस कंट्रोल सिस्टम की मंजूरी देनी है। जैसे ही बोर्ड से हरी झंडी मिलेगी वैसे ही पहले चरण में उत्तर पश्चिम रेलवे के चुनिंदा स्टेशन, फिर धीरे-धीरे देश के 100+ बड़े स्टेशनों पर विस्तार और भविष्य में हर स्टेशन पर पूरी तरह स्वचालित निगरानी शुरू हो जायेगी। रेलवे मंत्रालय का उद्देश्य है कि अगले दो वर्षों में यह सिस्टम देश के कम-से-कम 200 स्टेशनों पर कार्यरत हो।
एक्सेस कंट्रोल सिस्टम न केवल रेलवे स्टेशनों को आधुनिक बनाएगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। मेट्रो की तर्ज पर अनुशासन, तकनीकी निगरानी और अनधिकृत प्रवेश पर रोक के चलते रेलवे स्टेशन अधिक सुरक्षित, संरचित और यात्रियों के लिए भरोसेमंद स्थल बन जायेगा ।