22 जून, 2025 से आर्द्रा नक्षत्र का शुभारंभ होने जा रहा है, जो 6 जुलाई, 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि को सनातन परंपरा में विशेष महत्व दिया जाता है। आर्द्रा नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में से जीवनदायी और पवित्र नक्षत्र माना गया है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जब सूर्य इस नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो यह न केवल मौसम में बदलाव लाता है, बल्कि धरती पर जीवन के लिए आवश्यक नमी और वर्षा का संचार भी करता है। इस नक्षत्र की शुरुआत 22 जून को दोपहर 1.54 बजे होगी और इसका प्रभाव 6 जुलाई की शाम 3.32 बजे तक रहेगा।
आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि के अंतर्गत आता है और इसका स्वामी राहु होता है, जबकि इस पर बुध का भी प्रभाव रहता है। सूर्य के इस नक्षत्र में आने से वायुमंडल में नमी बढ़ता है और वायुवेग के साथ हल्की बारिश की संभावना रहता है, जो आगे चलकर अच्छी मानसून बारिश का संकेत देता है। किसानों के लिए यह काल अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह समय कृषि की तैयारी का आरंभिक चरण होता है। इस समय होने वाली वर्षा भूमि को उपजाऊ बनाती है और बीजों के अंकुरण के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।
यह नक्षत्र का धार्मिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस कालखंड में भगवान विष्णु को खीर, आम और दालपुरी (दाल भड़ा पूरी) का भोग लगाया जाता है। इस परंपरा का पालन विशेषकर महिलाएं अपने बच्चों की आरोग्यता और लंबी उम्र के लिए करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में तैयार किया गया खीर का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा और रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। संतान की सलामती के लिए माताएं अपने बच्चों को यह विशेष प्रसाद खिलाती हैं।
धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र में होने वाली वर्षा में स्नान करना अत्यंत लाभकारी होता है। विशेषकर त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा पाने के लिए इस अवधि की बारिश में स्नान को चमत्कारी माना गया है। पुराने समय में लोग इस नक्षत्र के दौरान जलवर्षा को ‘देव स्नान’ भी कहा करते थे। यह समय प्रकृति, स्वास्थ्य और आस्था तीनों के अद्भुत समन्वय का प्रतीक होता है।
आर्द्रा नक्षत्र सिर्फ खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि प्रकृति की गोद में जीवन का नवसंचार है। यह नक्षत्र वर्षा का दूत है, आरोग्यता का वाहक है और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। इस शुभ अवसर पर हमें न केवल प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना चाहिए, बल्कि पारंपरिक आस्था और वैज्ञानिक सोच के बीच संतुलन स्थापित कर इस नक्षत्र का भरपूर लाभ उठाना चाहिए।