भारत के वैज्ञानिकों ने बनाया पहली बार भेड़ का क्लोन

Jitendra Kumar Sinha
0



विज्ञान ने बीते कुछ वर्षों में ऐसी ऊंचाइयों को छुआ है, जो कभी सिर्फ कल्पनाओं में होती थी। इन्हीं में से एक है क्लोनिंग।  क्लोनिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी जीव की जीन की प्रतिकृति तैयार किया जाता है, जिससे एक नया जीव बिना पारंपरिक प्रक्रिया के जन्म प्रक्रिया तैयार होता है। इस तकनीक के माध्यम से अब भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। कश्मीर की शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (SKUAST-K) ने हाल ही में भेड़ का क्लोन तैयार किया है, जिससे देश में आनुवंशिक विज्ञान के क्षेत्र में एक नई क्रांति आई है।

क्लोन किसी जीव का ऐसा जैविक हमशक्ल होता है, जिसका जीन (DNA) उसके मूल जीव से बिल्कुल मेल खाता है। यह प्रक्रिया अलैंगिक प्रजनन पर आधारित होता है, जिसमें किसी जीव की कोशिकाओं से ही एक नया जीव तैयार किया जाता है।

SKUAST-K के वैज्ञानिकों ने जो भेड़ तैयार किया है, वह भारत की पहली जीन-संपादित (Gene-Edited) भेड़ है। इसमें Myostatin जीन को एडिट किया गया है, जो मांसपेशियों के विकास को नियंत्रित करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस परिवर्तन के बाद भेड़ की मांसपेशियों में 30% तक वृद्धि देखी गई है, जो कि भारतीय नस्लों में एक असामान्य उपलब्धि माना जाता है।

इस भेड़ को CRISPR-Cas9 नामक जीनोम एडिटिंग तकनीक से तैयार किया गया है। यह एक अत्याधुनिक बायोटेक्नोलॉजी तकनीक है, जो किसी भी DNA में बहुत सटीकता से बदलाव कर सकता है। यह तकनीक बैक्टीरिया के प्राकृतिक इम्यून सिस्टम से प्रेरित है, जिससे वैज्ञानिक आनुवंशिक बीमारियों के इलाज और नए जैविक अनुसंधानों में इसका उपयोग करता हैं।

इस तकनीक की सफलता के बाद यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या इंसान का क्लोन भी बनाया जा सकता है? फिलहाल इसका उत्तर है "नहीं"।  CRISPR-Cas9 तकनीक इंसानों में जीनोमिक बीमारियों के इलाज में उम्मीद की किरण बन चुका है, लेकिन कानूनी, नैतिक और वैज्ञानिक सीमाओं के कारण इंसानों की क्लोनिंग न तो की गई है और न ही इसकी अनुमति है।

यह उपलब्धि भारत के लिए केवल वैज्ञानिक प्रयोग नहीं है, बल्कि एक वैश्विक स्तर पर पहचान है। इससे भारत अब पशु जैव-प्रौद्योगिकी और जीनोमिक अनुसंधान में अग्रणी देशों की सूची में शामिल हो गया है।

भेड़ की यह क्लोनिंग न सिर्फ भारत के विज्ञान जगत के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह संकेत भी है कि हम अब आधुनिक जैविक अनुसंधानों के नए युग में प्रवेश कर चुके हैं। इंसानों की क्लोनिंग भले ही अभी दूर की बात हो, लेकिन इस दिशा में हमारी वैज्ञानिक समझ तेजी से बढ़ रहा है।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top