राजधानी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए राहत की बड़ी खबर है। अब उन्हें अपनी जमीन और मकान पर वैध मालिकाना हक मिलने वाला है। इसके साथ ही संपत्तियों के सर्किल रेट (Government Property Rates) में भी बड़े बदलाव की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शनिवार को सचिवालय में आयोजित टास्क फोर्स की बैठक के बाद इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी दी।
दिल्ली में हजारों की संख्या में अनधिकृत कॉलोनियां हैं, जिनमें लाखों लोग वर्षों से रह रहे हैं, लेकिन इनके पास अपनी जमीन के मालिकाना दस्तावेज नहीं हैं। इससे न सिर्फ उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी होती है, बल्कि बैंक से लोन लेना, संपत्ति का पंजीकरण और पुनर्विकास भी लगभग असंभव होता है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि “हम इन बस्तियों को सिर्फ ‘अनधिकृत’ के लेबल से मुक्त करना चाहते हैं। इन्हें एक सम्मानजनक पहचान और कानूनी अधिकार दिए जाएंगे ताकि यहां के निवासी अपने भविष्य को सुरक्षित महसूस करें।”
बैठक में यह भी तय किया गया कि सर्किल रेट में वर्षों से चली आ रही अनियमितताओं को दूर किया जाएगा। कई क्षेत्रों में वर्तमान सर्किल रेट बाजार मूल्य से काफी ऊपर या नीचे हैं, जिससे संपत्ति खरीद-फरोख्त और टैक्स भुगतान में अनेक समस्याएं आती हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि डिविजनल कमिश्नर की अध्यक्षता में एक विशेष समिति बनाई जाए, जो बाजार की वास्तविक स्थिति को देखकर नई सर्किल दरें तय करेगी। यह निर्णय न सिर्फ अनधिकृत कॉलोनियों बल्कि पूरे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अहम माना जा रहा है।
बैठक में व्यापार सुगमता, ग्रीन बिल्डिंग नीति और शहरी ढांचे के विकास जैसे मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। डीडीए, एमसीडी, डीएमआरसी और उद्योग प्रतिनिधियों ने सुझाव दिए कि कैसे इन कॉलोनियों को बेहतर शहरी सेवाएं और बुनियादी ढांचा दिया जा सकता है। सरकार ने संकेत दिया है कि भविष्य में व्यापार लाइसेंस, निर्माण परमिट और बिजली-पानी के कनेक्शन की प्रक्रिया को भी और सरल किया जाएगा।
बैठक में कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, डीडीए, एमसीडी और अन्य प्रमुख विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने सहमति जताई है कि अनधिकृत कॉलोनियों के लोग दिल्ली के सामाजिक-आर्थिक तानेबाने का अहम हिस्सा हैं और उन्हें अब मुख्यधारा में लाना जरूरी है।
दिल्ली सरकार का यह निर्णय न केवल करोड़ों लोगों को राहत देगा, बल्कि शहरी नियोजन में एक नई शुरुआत की ओर संकेत करता है। मालिकाना हक और पारदर्शी सर्किल रेट से न सिर्फ निवासियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि दिल्ली के समावेशी विकास को भी नई गति मिलेगी।