राज्य में फिश फीड मिल संचालकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। बिजली की बढ़ती लागत से जूझ रहे इन मिलरों को अब सरकार सहायता राशि देगी, जिससे वे बिजली बिल भरने में सक्षम हो सकेंगे। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की पहल पर राज्य सरकार ने इस योजना के लिए ₹2.26 करोड़ की राशि स्वीकृत की है।
फिश फीड मिलों को अब तक व्यावसायिक दरों पर बिजली लेनी पड़ती थी, जो सामान्य उपभोक्ताओं की तुलना में कहीं अधिक महंगी होती है। लगातार बढ़ते बिजली बिलों ने इन मिलों की कमर तोड़ दी थी।
परिणामस्वरूप, कई मिलें बंदी के कगार पर पहुंच गईं थी। इससे न केवल मत्स्य आहार के उत्पादन पर असर पड़ा है, बल्कि हजारों लोगों की आजीविका भी संकट में आ गई है।
मिलरों की इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने सरकार से मदद की सिफारिश की थी। विभाग ने माना है कि फिश फीड मिलें राज्य के मत्स्य पालन उद्योग की रीढ़ हैं, और इन्हें संकट से उबारना जरूरी है। सरकार की मंजूरी के बाद अब इन मिलरों को बिजली बिल के भुगतान के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह राशि सीधे उन मिलों को दी जाएगी जो निर्धारित मानकों को पूरा करती हैं और राज्य में पंजीकृत हैं।
बिहार में मत्स्य पालन एक उभरता हुआ क्षेत्र है और यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने में अहम भूमिका निभा रहा है। फिश फीड मिलें मछलियों को पोषक आहार उपलब्ध कराकर मत्स्य उत्पादन को गति देती हैं।
इन मिलों के बंद होने से न केवल मछली उत्पादन में गिरावट आती है, बल्कि राज्य की "नीली क्रांति" की योजनाएं भी प्रभावित होती है।
सरकार के इस निर्णय से फिश फीड मिल संचालकों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। बिहार फिश फीड मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि “हम लंबे समय से राहत की मांग कर रहे थे। यह सहयोग हमें दोबारा उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगा।”
अब विभाग की ओर से जल्द ही आवेदन प्रक्रिया और सहायता वितरण के मानदंड तय किए जाएंगे। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी समिति भी बनाई जा सकती है, जो यह देखेगी कि सहायता राशि का सही उपयोग हो रहा है या नहीं। सरकार की यह पहल ना केवल संकट में फंसी मिलों को राहत देगी, बल्कि राज्य के मत्स्य पालन क्षेत्र को भी नई दिशा देगी। आने वाले समय में यदि बिजली दरों को कृषि दरों की तर्ज पर संशोधित किया जाएगा, तो यह उद्योग और अधिक आत्मनिर्भर बन सकता है। ₹2.26 करोड़ की सहायता राशि स्वीकृत हुई है, इससे व्यावसायिक बिजली दरों से राहत मिलेगी, मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिलेगा। यह कदम निश्चित रूप से एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करता है, जो बिहार को मत्स्य क्षेत्र में अग्रणी बना सकता है।